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अभी आधे से कम हुई गेहूँ की बुवाई, तेजी से बढ़ा सब्जी की खेती का रकबा

मौसम साफ होने से अभी राहत, रबी फसलों में अब भी गेहूँ किसानों की पहली प्राथमिकता
डिजिटल डेस्क जबलपुर । खरीफ सीजन में मक्का और धान के बम्पर उत्पादन के बाद अब रबी सीजन की फसलों की बुवाई हो रही है। मौसम के साफ होने से खेतों की सफाई और अन्य कार्य करने के बाद बुवाई का क्रम जारी है लेकिन अभी भी जिले में रबी सीजन में खासकर गेहूँ की बुवाई टारगेट से दूर है।
जानकारी के अनुसार गेहूँ के लिए जिले में 1 लाख 75 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में बोने का लक्ष्य रखा गया है उसमें से अभी तक केवल 62 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में ही इसे बोया जा सका है। इस तरह अभी आधे से कम एरिया में गेहूँ बोया जा सका है। वैसे पिछले कुछ सालों में पारम्परिक कृषि से अलग सब्जी और फलदार पौधे लगाने का रकबा जिले में तेजी से बढ़ रहा है। अभी जिले में 15 हजार से अधिक हेक्टेयर क्षेत्र में सब्जियाँ लगाई जा रही हैं। व्यावसायिक कृषि के नजरिए से इस क्षेत्र में तेजी से इजाफा आने वाले दिनों में होने वाला है। रबी सीजन में गेहूँ के बाद चना, मटर और फिर मसूर दलहनी फसल को बोया जाता है। कुछ एरिया में राई सरसों को किसान आसानी के साथ उगा रहे हैं। उपसंचालक कृषि सुशील निगम कहते हैं कि जो टारगेट कृषि विभाग ने निर्धारित किया है उसको सीजन के खत्म होने तक पूरा कर लिया जाएगा।
अब 30 दिसंबर तक मौका
गेहूँ के जो उन्नत बीजों के किस्म बाजार में हैं उस हिसाब से गेहूँ अब 30 दिसंबर तक आसानी से खेतों में लगाकर बेहतर तरीके से पैदा किया जा रहा है। कृषि विभाग दिसंबर मध्य तक ही रबी सीजन की इस फसल को बोने का टागरेट निर्धारित करता है। रिसर्च बीज और सामान्य बीज में पैदावार में अंतर रहने का दावा किया जाता है लेकिन आमतौर पर प्रति एकड़ 15 से 17 क्विंटल उत्पादन जिले में किया जा रहा है। कुछ क्षेत्रों में यह 22 से 25 तक है।
मौसम का असर सबसे अधिक
पूर्वी मध्य प्रदेश में रबी सीजन की फसलों पर मौसम की मार सबसे अधिक रहती है। ठण्ड के दिनों में पैदा होने वाले पश्चिमी विक्षोभ से मौसम बदलता है और इससे बेमौसम बारिश के आसार रहते हैं। इसी के साथ आसमान साफ होते ही ठण्डी हवाएँ दलहनी फसलों के लिए परेशानी पैदा करती हैं। कई सालों से ठण्ड के दिनों में मौसम खराब होते ही फसलों को नुकसान हो रहा है।
Created On :   4 Dec 2020 3:37 PM IST