छलकी आंखें - औलाद को बचाने बंदरिया ने सरेराह दे दी जान- बदन से लिपटा रहा मासूम

Spilled eyes - To save the child, the monkey gave her life - hugging the body, waiting for the innocent to wake up
छलकी आंखें - औलाद को बचाने बंदरिया ने सरेराह दे दी जान- बदन से लिपटा रहा मासूम
मैंने जन्नत तो नहीं देखी- मां देखी है छलकी आंखें - औलाद को बचाने बंदरिया ने सरेराह दे दी जान- बदन से लिपटा रहा मासूम

डिजिटल डेस्क, प्रणीता राजुरकर, वर्धा। मशहूर शायर मुनव्वर राणा की लिखी इबारत इस मासूम की आंखों में साफ नजर आती है, कि छू नहीें सकती मौत भी आसानी से इसको, यह बच्चा अभी मां की दुआ ओढ़े हुए है...

चलती फिरती हुई आंखों से अज़ां देखी है,
मैंने जन्नत तो नहीं देखी है मां देखी है।

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मासूम अपनी मां बदन से लिपटकर इंतजार कर रहा है कि वो उठकर अभी छाती से लगा लेगी, लेकिन शायद इसे पता नहीं कि सड़क पर दौड़ रही तेज रफ्तार मौत से बचाने के लिए बंदरियां ने इसे सड़क के उस पार फेंक दिया और तभी वाहन की चपेट में आकर उसकी मौत हो गई। देखते ही देखते तस्वीर वायरल हो गई, देखने - समझने वालों ने इस दर्द को महसूस कर लिया। 

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अभी समृद्धि महामार्ग शुरू हुए चार माह ही हुए हैं कि, हादसों का दौर शुरु हो गया। रफ्तार की चपेट में आकर जानवरों को जान गंवानी पड़ रही है। ताजा घटना रविवार सुबह समृद्धि महामार्ग पर घटी। जहां तेज रफ्तार वाहन की चपेट में आ रहे बच्चे की जान बचाने के लिए बंदरिया ने खुद को मौत के हवाले कर दिया। 

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सुबह बंदरों का झुंड समृद्धि महामार्ग पार कर रहा था। उस वक्त सामने से तेज रफ्तार दौड़ रहे वाहन को देख बंदरिया को मौत नजर आ गई। जान बचाने खुद से लिपटे अपने बच्चे को उसने दूर फेंक दिया, बच्चे की जान तो बच गई, लेकिन उसी पल वाहन बंदरिया को रौंधता हुआ आगे निकल गया।इस घटना में वो गंभीर रूप से घायल हो गई थी।

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हादसे के दौरान ओडिशा से नाशिक जा रही एम्बुलेंस के कर्मचारी वर्धा टोल नाके पर रूके थे। नजारा देख एम्बुलेंस चालक किशोर सूर्यवंशी और विक्की पठान ने टोल कर्मचारियों से संपर्क किया और बंदर सहित उसके बच्चे को बचाने का प्रयास शुरू किया। तीन किमी दूरी पर पिपरी के करुणाश्रम में घायल बंदरिया और उसके बच्चे को लाया गया। उपचार के दौरान बंदरिया की मौत हो गई, लेकिन बच्चा सही सलामत बच गया। 

मां को जगाने बच्चे का प्रयास

बंदरिया का बच्चा काफी समय तक मां को जगाने का प्रयास करता था। उसका यह प्रयास देखकर देखने वालों की आंखें छलक गईं। 

बेजुबान को दिया जीवनदान

उल्लेखनीय है कि एम्बुलेंस चालक किशोर सूर्यवंशी व विक्की पठान ओडिशा में शव पहुंचाने गए थे। वापसी के दौरान उन्होंने नाके के पास हादसा देखा। एम्बुलेंस कर्मचारी बेजुबानों का दर्द समझ गए, उन्हें उपचार देने करुणाश्रम ले गए। 

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कहते हैं कि सड़क पर जा रहे हों और सामने से आता ट्रक बेहद करीब दिखाई दे जाए, तो सारी चेतना सिमटकर नाभि पर आ जाती है, क्योंकि उसी नाभि से मां ने प्राण जो पिलाए होते हैं। तो सफर के वक्त जरा सड़क पर इन बेजुबानों का भी ध्यान रखिए। 

Created On :   2 April 2023 6:58 PM IST

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