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स्टेन स्वामी का स्ट्रॉ और सिपर जब्त करने का दावा झूठा और शरारतपूर्ण - एनआईए
डिजिटल डेस्क, मुंबई। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में गिरफ्तार एक्टिविस्ट स्टेन स्वामी के स्ट्रॉ और सिपर जब्त करने के आरोपों को झूठा और शरारतपूर्ण बताया है। रविवार को जारी बयान में जांच एजेंसी ने कहा कि कि स्टेन स्वामी को एनआईए ने इसी साल 8 अक्टूबर को प्रतिबंधित संगठन सीपीआई (माओवादी) की गतिविधियों को चलाने और भीमा कोरेगांव एल्गार परिषद की साजिश के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। आरोप है कि साल 2017 में 31 दिसंबर को पुणे के शनिवार वाडा में एल्गार परिषद में दिए गए भड़काऊ भाषणों के चलते हिंसा भड़की थी। जांच एजेंसी के मुताबिक स्टेन स्वामी को 9 अक्टूबर को मुंबई की विशेष अदालत में पेश किया गया था जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था और तभी से स्टेन स्वामी तलोजा जेल में बंंद हैं। दरअसल स्टेन स्वामी ने 6 नवंबर को विशेष एनआईए अदालत में अर्जी देकर अपना स्ट्रा और सिपर एनआईए से वापस मांगा था। लेकिन जांच एजेंसी का दावा है कि यह दावा झूठा है।
अदालत ने एनआईए को मामले में जवाब देने को कहा। 26 नवंबर को एनआईए ने अदालत को अपने जवाब में बताया कि स्वतंत्र गवाहों की निगरानी में एनआईए ने तलाशी ली थी इस दौरान कोई स्ट्रॉ और सिपर नहीं मिला था। अदालत ने स्वामी की अर्जी खारिज कर दी और जेल अधिकारियों को निर्देश दिया कि स्वामी के लिए स्ट्रॉ और सिपर की व्यवस्था की जाए। जांच एजेंसी की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि आरोपी न्यायिक हिरासत में है इसलिए मामला उनके और महाराष्ट्र प्रशासन के बीच का है। लेकिन इस बाबत एनआईए द्वारा स्ट्रॉ और सिपर की बरामद करने और इसे स्वामी को सौंपने के लिए अदालत से 20 दिन का समय मांगने से जुड़ी खबरें बेबुनियाद है। एनआईए के मुताबिक स्वामी के पास से केवल प्रतिबंधित माओवादी विचारधारा के प्रचार प्रसार के लिए इस्तेमाल होने वाले दस्तावेज बरामद किए गए हैं।
Created On :   29 Nov 2020 6:48 PM IST