अपना व्यवसाय शुरू कर दूसरों को भी कर रही आत्मनिर्भर - महिलाएं सभी लोगों के लिए बन रहीं प्रेरणा

Starting your own business, doing self-reliance to others - women becoming inspiration for all people
अपना व्यवसाय शुरू कर दूसरों को भी कर रही आत्मनिर्भर - महिलाएं सभी लोगों के लिए बन रहीं प्रेरणा
अपना व्यवसाय शुरू कर दूसरों को भी कर रही आत्मनिर्भर - महिलाएं सभी लोगों के लिए बन रहीं प्रेरणा

डिजिटल डेस्क  कटनी ।  सफलता का मूल मंत्र मेहनत और संघर्ष है। यह बात हम सभी लोग अच्छी तरह से जानते हैं, जो इस वाक्य के तीन शब्दों को अच्छी तरह से समझ लेता है। वह दूसरों के लिए प्रेरणादायक बन जाता है। इस बात को जिले की कई महिलाओं ने सही साबित कर दिखाया है। आराम की जगह मेहनत की राह चुनते हुए ये महिलाएं आज स्वयं के साथ अपनी सहेलियों को भी गांव में ही रोजगार उपलब्ध करा रही हैं। जनपद कटनी अंतर्गत हिरवारा की महिला पहले मेहनत-मजदूरी करने गांव से शहर आती थी। सिलाई का काम सीख कर अपने घर में ही अच्छी खासी आमदनी प्राप्त कर रही हैं।
पहले मुश्किल से हो पाता था गुजारा
गुलवारा की गुंजवाती बर्मन बताती हैं कि आज से चार वर्ष पहले वह मजदूरी कर अपना जीवन-यापन करती थी। उससे सिर्फ पेट भरने के लिए राशन का ही जुगाड़ हो पाता था। कई बार जरुरत पडऩे पर साहूकारों से ब्याज में रुपए उधार लेने पड़े। यह समस्या उसके साथ अन्य महिलाओं की रही। तभी आजीविका मिशन के सहायक विकासखण्ड प्रबंधक रामचन्द्र राजपूत ने उन्हें समूह बनाने को कहा। आपस में सभी महिलाओं ने मिलकर समूह का गठन किया। इसके बाद सभी लोगों ने बैंक से आर्थिक मदद लेकर सिलाई का कार्य शुरु किया। लहंगा-चुनरी भी बचत राशि से खरीदे और इसे किराए पर चलाने लगी। अब समूह की प्रत्येक महिला को सात से आठ हजार रुपए की आय प्रतिमाह प्राप्त हो रही है।
छोटी सी बचत ने दिया सहारा
हिरवारा की महिला रीना बर्मन भी आर्थिक तंगियों से गुजर रही थी। आजीविका मिशन के माध्यम से दस महिलाओं को मिलाकर तो समूह बना लिया, लेकिन बचत नहीं होने से बैंक से कर्जा नहीं मिल पा रहा था। जिसके बाद सभी महिलाएं प्रत्येक सप्ताह दस-दस रुपए की बचत करनी लगी। यह बचत राशि उन्हें आर्थिक मजबूती की तरफ ले गई। बचत की परंपरा देखकर बैंक ने भी 25 हजार का कर्ज दे दिया। जिससे महिला आज स्वयं मनिहारी की दुकान संचालित कर रही हैं। स्वरोजगार से करीब छह हजार रुपए प्रतिमाह आय प्राप्त कर रही है। अन्य महिलाएं भी आर्थिक रुप से धीरे-धीरे मजबूत हो रही हैं।
होटल को बनाया आय का माध्यम
पति चाय बेचकर परिवार का गुजर-बसर रहा था लेकिन इतनी आमदनी नहीं होती थी कि ठीक से बच्चों की परवरिश हो सके। तब पत्नी सुनीता ने पति के व्यवसाय में कंधे से कंधा मिलाकर परिवार का ही आर्थिक स्तर ऊंचा किया। महिला ने बताया कि उसके पति होटल में सिर्फ चाय बनाते थे। गांव गुलवारा में चाय की इतनी अधिक बिक्री नहीं होती थी कि उससे उनका परिवार आर्थिक तंगियों से उबर सके। महिला अपने पति के साथ इस काम में हाथ बंटाती थी। होटल को विस्तार देने के लिए और अधिक रुपए की आवश्यकता थी। सभी जगहों से निराशा मिली तो गांव की ही किसी महिला ने स्वसहायता समूह बनाने की पहल की। जिसके बाद 12 महिलाओं ने मिलकर समूह का गठन किया और बारी-बारी से बैंक से कर्ज लेते हुए अपने-अपने व्यवसाय को बढ़ाया। इस व्यवसाय से सभी लोगों को करीब छह से सात हजार रुपए का मासिक आय मिल रही है।
 

Created On :   13 July 2020 10:11 AM GMT

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