सरकारी नौकरियों और शिक्षा के लिए राज्य सरकार ने तृतीयपंथियों के लिए खोली तीसरी खिड़की
डिजिटल डेस्क, मुंबई। राज्य सरकार ने बांबे हाईकोर्ट को सूचित किया है कि सरकार जल्द ही सरकारी नौकरियों व शिक्षा के लिए जेंडर(लिंग) के तौर पर स्त्री-पुरुष के अलावा तृतीयपंथी (ट्रांसपर्सन) श्रेणी का विकल्प उपलब्ध कराएंगी। इस तरह से महाराष्ट्र सरकार ने अब तृतीयपंथियों के लिए तीसरी खिड़की खोल दी है। सोमवार को राज्य के महाधिवक्ता बिरेंद्र श्रॉफ ने हाईकोर्ट को यह जनकारी दी हैं। उन्होंने कहा कि सरकार एक सप्ताह में इस संबंध में शासनादेश जारी करेंगी। श्रॉफ ने स्पष्ट किया कि सरकार पुलिस महकमे में तृतीयपंथियों की भर्ती के लिए पुलिस नियुक्ति नियमावली में संसोधन भी करेंगी जिसके बाद तृतीयपंथियों के पुलिस दल में शामिल होने के लिए शारीरिक मापदंड तय किए जाएंगे। सरकार ने तृतीयपंथियों को लेकर व्यापक नीति तैयार करने के लिए एक कमेटी भी गठित की है। कमेटी की रिपोर्ट मिलने के बाद सरकार तृतीयपंथियों के लिए सरकारी नौकरी व शिक्षा के लिए नियावली तैयार करेंगी। फिर मंत्रिमंडल की बैठक में नियमानवाली को मंजूरी के लिए रखा जाएगा। यह नियमावली सरकार के सभी विभागों पर लागू होगी। कमेटी के गठन के विषय में जल्द ही शासनादेश जारी किया जाएगा।
हाईकोर्ट में सार्वजनिक उपक्रम की नौकरी में तृतीयपंथियों को आरक्षण देने की मांग को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई चल रही है। याचिका में महाराष्ट्र स्टेट इलेक्ट्रीसिटी ट्रांसमिशन कंपनी (महापारेषण) में निकली भर्ती में तृतीयपंथियों को आरक्षण देने की मांग की गई है सोमवार को कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एसवी गंगापुरवाला व न्यायमूर्ति एसवी मारने की खंडपीठ के से सामने यह याचिका सुनवाई के लिए आयी।
इस दौरान महापारेषण की ओर से पैरवी कर रहे वकील ने कहा कि महापारेषण में रिक्त पदों पर नियुक्ति की प्रक्रिया पूरी हो गई है। जल्दी ही चयनित लोगों की सूची जारी की जाएगी। मामले से जुड़े याचिकाकर्ता (तृतीयपंथी) को उस पद के लिए योग्य नहीं पाया गया है। जिसके लिए उसने आवेदन किया था।याचिकाकर्ता पिछड़े वर्ग(ओबीसी) का था फिर भी उसने सामान्यवर्ग में नौकरी के लिए आवेदन किया था।
अधिवक्ता क्रांति एसली के माध्यम से दायर की गई याचिका में दावा किया गया है कि महापारेषण ने 170 लोगों की नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी किया था। विज्ञापन में नियुक्ति के लिए जातिगत आरक्षण,महिला व दिव्यांगों के लिए आरक्षण का उल्लेख था। लेकिन ट्रांसपर्सन के आरक्षण को लेकर कोई जिक्र नहीं किया गया। जबकि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में तृतीतपंथियों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए नौकरी में आरक्षण का देने की बात कही है। इसके बावजूद तृतीयपंथियों को आरक्षण देने को लेकर कोई नीति नहीं बनाई गई है। यह पूरी तरह से सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ है। याचिका के मुताबिक तृतियपंथियों को नौकरी में आरक्षण न दिया जाना उनके जीविका अर्जित करने के मौलिक अधिकार का हनन करता है। याचिका में कहा गया है कि यह संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है। खंडपीठ ने फिलहाल राज्य के महाधिवक्ता व याचिकाकर्ता के वकील की दलीलों को सुनने के बाद याचिका पर सुनवाई दो सप्ताह तक के लिए स्थगित कर दी हैं।
Created On :   6 March 2023 8:35 PM IST