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अभी ज्यादा जरूरत लेकिन काम नहीं आ रहा सीजीएचएस कार्ड
सीनियर सिटीजन्स ने रखी अपनी पीड़ा, कहा- इलाज को टाल देते हैं निजी अस्पताल, भुगतान में विलम्ब भी है इसकी एक बड़ी वजह
डिजिटल डेस्क जबलपुर । सेवानिवृत्त अधिकारी-कर्मचारी अपनी जीवन भर की कमाई का कुछ हिस्सा केन्द्र सरकार की स्वास्थ्य योजना (सीजीएचएस) में जमा करते हैं। इसके बदले उन्हें सीजीएचएस का कार्ड मिलता है। इस कार्ड को संजोए वरिष्ठजनों को उम्मीद यही होती है कि जीवन के अंतिम पड़ाव में इलाज के लिए यह कार्ड उनके काम आएगा, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। केन्द्रीय सेवाओं से सेवानिवृत्त कई सीनियर सिटीजन्स ने शिकायत में आरोप लगाया कि कोरोना की भीषण त्रासदी के दौर में उनका यह कार्ड किसी काम नहीं आ रहा है। कई निजी अस्पताल इस कार्ड को मान्य ही नहीं कर रहे हैं। अस्पताल प्रबंधन यही तर्क देते हैं कि सीजीएचएस की राशि का भुगतान समय पर नहीं किया जाता। इसमें कई महीने लग जाते हैं, वहीं इसमें सेवाओं का मूल्य भी कम दिया जाता है। प्रकरणों की पड़ताल में यह बात भी सामने आई कि अस्पतालों व सीजीएचएस के अधिकारियों में समन्वय की कमी के कारण ये हालात बन रहे हैं और इनका खामियाजा वृद्धजनों को भुगतना पड़ रहा है।
समय पर नहीं मिला इलाज, अंतत मौत
कंचनपुर निवासी वीरेन्द्र त्यागी ने बताया कि उनके पिता एसपी त्यागी जीसीएफ से सेवानिवृत्त व पेंशनर्स एसोसिएशन के सचिव थे। उन्हें 5 अप्रैल को कोविड हो गया था। उन्हें हम लोग शहर के दो बड़े अस्पतालों में ले गए। अस्पताल प्रबंधन ने सीजीएचएस कार्ड देखते ही इलाज करने से मना कर दिया। उन्हें जैसे-तैसे नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया गया। वहाँ उनकी मौत हो गई। वीरेन्द्र का कहना है कि यदि सीजीएचएस के अधिकारियों व अस्पतालों के बीच सही समन्वय होता, तो उनके पिता को निजी अस्पताल में जगह मिल जाती और उनकी जान बच सकती थी। उन्होंने इसकी शिकायत एसोसिएशन के पदाधिकारियों से भी की है।
गंभीर बीमारी में भी नहीं मिली जगह
जवाहर नगर निवासी जगमोहन विश्वकर्मा ने बताया कि उनके पिता टीएल विश्वकर्मा, व्हीकल फैक्ट्री से सेवानिवृत्त थे और पिछले कुछ समय से बीमार चल रहे थे। अचानक तकलीफ बढऩे के बाद हम उन्हें निजी अस्पताल लेकर गए, लेकिन सीजीएचएस कार्ड दिखाते ही चिकित्सकों ने उन्हें भर्ती करने से इनकार कर दिया। सीजीएचएस के एडिशनल डायरेक्टर डॉ. आरपी रावत को फोन लगाया तो एक अन्य निजी अस्पताल में जगह मिली, लेकिन इस वक्त तक काफी देर हो चुकी थी। पिता ने कैजुअल्टी में ही प्राण त्याग दिए। यदि समय पर इलाज हो जाता, तो पिता की जान बच जाती। परिजनों ने इसकी शिकायत भी सीजीएचएस के अधिकारियों से की है।
कार्ड देखते ही कर दिया इलाज से इनकार
अधारताल निवासी सेवानिवृत्त भगवत सिंह तथा राकेश सक्सेना ने शिकायत में बताया कि पिछले दिनों वे कोरोना संक्रमण के शिकार हो गए थे। श्री सिंह व श्री सक्सेना की पत्नियाँ भी कोरोना संक्रमित हो गई थीं। दोनों ही दंपति उपचार के लिए एक निजी अस्पताल गए, पहले तो भर्ती करने के लिए रुपए जमा करने को कहा गया। श्री सिंह के अनुसार उन्होंने जब सीजीएचएस कार्ड दिखाया, तो बेड खाली नहीं होने की बात की जाने लगी। अंतत: उन्होंने नकद राशि जमा की, तब जाकर उन्हें इलाज नसीब हो पाया। श्री सक्सेना ने कहा कि मुसीबत की घड़ी में सीजीएचएस कार्ड किसी काम नहीं आ पाया। दोनों ही पीडि़तों ने सीजीएचएस में भी इसकी शिकायत की है। उनका कहना है कि व्यवस्था में सुधार होना चाहिए, ताकि बुजुर्गों को इसका लाभ मिल सके।
इनका कहना है
दो लोगों की मौत के संबंध में निजी अस्पतालों से जवाब माँगा गया है। हमने सभी गाइडलाइनों के बारे में पैनल में शामिल सभी अस्पतालों को अवगत करा दिया है। बेड खाली होने पर तुरंत भर्ती करने निर्देश दिए गए हैं और ऐसा नहीं करने पर सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी गई है।
-शिवलाल, अधीक्षक सीजीएचएस
Created On :   21 April 2021 2:20 PM IST