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बीमा कंपनी के अजब-गजब नियम कायदे -ऑक्सीजन लेवल सही, इसलिए कैशलेस नहीं
चेयरमैन एवं मैनेजिंग डायरेक्टर्स को मिलाकर 73.02 करोड़ का सैलरी पैकेज, पॉलिसी होल्डर के लिए दिखावे का घाटा.!
स्टार हेल्थ इंश्योरेंस की दोहरी फायनेंस पॉलिसी, बीमा क्लेम देने में कई तरह की बहानेबाजी कई में महीनों की लेटलतीफी
डिजिटल डेस्क जबलपुर । पॉलिसी होल्डर्स को 24*7 सेवा का वादा करने वाली स्टार हेल्थ इंश्योरेंस ने फायनेंस के मामले में अपनी दो तरह की पॉलिसी बना रखी है। एक तरफ कंपनी अपनी वित्तीय वर्ष 2020-21 की बैलेंस शीट पर खुद को करोड़ों के घाटे पर दिखाती है, जबकि दूसरी ओर कंपनी ने अपने चेयरमैन और दो मैनेजिंग डायरेक्टर्स को 73.02 करोड़ का भारी भरकम सैलरी पैकेज भी दे रखा है। सवाल उठता है कि बीमा धारकों को भुगतान में बहानेबाजी और लेटलतीफी क्यों की जाती है। हेल्थ इंश्योरेंस देने वाली कंपनियों के दावे और वादे पॉलिसी देते वक्त कुछ होते हैं और क्लेम के समय कुछ और। अक्सर देखने में आया है कि जब कभी भी किसी बीमा उपभोक्ता को स्वास्थ्य सेवाओं के दौरान इंश्योरेंस के सहारे की जरूरत होती तब ज्यादातर निराश ही होना पड़ता है। स्टार हेल्थ इंश्योरेंस से संबंधित ऐसे कई मामले सामने आए हैं।
कंपनी कैशलेश से बचने के लिए कई तरह के हथकंडे अपनाती है। नियम शर्तें शुरुआती दौर में अलग होती हैं लेकिन जब पॉलिसी होल्डर को सहारे की असली जरूरत होती है तभी कंपनियाँ हाथ छिड़ककर भागती हैं। त्रिमूर्ति नगर निवासी चंद्रकांत नामदेव भी ऐसे ही भरोसे का शिकार हुए। स्टार हेल्थ ने उन्हें कैशलेस सुविधा का लाभ देने के लिए सिर्फ इसलिए मना कर दिया कि उनका ऑक्सीजन लेवल सही था। ताज्जुब वाली बात है कि बेहतर स्वास्थ्य का वादा करने वाली कंपनी ने ऑक्सीजन की बेहतर कंडीशन होने के कारण साथ देने से मनाही कर दी।
एक तरफ घाटा दूसरी ओर हाई सैलरी
17211 करोड़ रुपए के क्लेम भुगतान का अपने वेबसाइट पर दावा करने वाली स्टार हेल्थ इंश्योरेंस ने अपनी 2020-21 की बैलेंस शीट पर खुद को 1,085.71 करोड़ के घाटे में बताया है। जानकारों का कहना है कि कंपनी अपने दो मैनेजिंग डायरेक्टर्स में से एक को 4.90 करोड़ तथा दूसरे को 4.85 करोड़ रुपए का सालाना सैलरी पैकेज दिया। चेयरमैन के लिए यही पैकेज 63.26 करोड़ रुपए का रहा।
हम 24 *7 सेवा में
स्टार की बिजनेस पॉलिसी इस बात का दावा करती है कि वह अपने कस्टमर्स के लिए 24*7 सेवा में उपलब्ध है। इसके लिए हेल्पलाइन और सर्विस प्रोवाइडर दिन-रात सक्रिय रहते हैं। हैरानी वाली बात यह है कि जरूरत पडऩे पर बीमाधारक की कई कोशिशों के बाद भी इनसे संपर्क नहीं हो पाता। जानकारों का कहना है कि कैशलेस और क्लेम सेटलमेंट के मामले में बार-बार संपर्क करने पर भी कंपनी रिस्पांस नहीं देती है। (आँकड़े कंपनी की दी गई बैलेंस सीट के अनुसार।)
Created On :   27 May 2021 4:31 PM IST