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बिजली कंपनियों के कर्मचारियों को कम ग्रेच्युटी दिए जाने को सुको में दी चुनौती

केन्द्र सरकार के श्रम विभाग, राज्य के ऊर्जा विभाग और प्रदेश की पाँच बिजली कंपनियों को नोटिस
डिजिटल डेस्क जबलपुर । सुप्रीम कोर्ट में मध्यप्रदेश की बिजली कंपनियों के सेवानिवृत्त अफसरों और कर्मियों को कम ग्रेच्युटी दिए जाने को विशेष अनुमति याचिका के जरिए चुनौती दी गई है। सुको ने केन्द्र सरकार के श्रम विभाग, मप्र सरकार के ऊर्जा विभाग, एमपी पॉवर मैनेजमेंट कंपनी, ट्रांसमिशन, पूर्व क्षेत्र, पश्चिम क्षेत्र और मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनियों को नोटिस जारी किया है। जस्टिस आरएफ नरीमन और जस्टिस बीआर गवई की डिवीजन ने अनावेदकों को 6 सप्ताह में जवाब देने का निर्देश दिया है।
यह है मामला
यह विशेष अनुमति याचिका बिजली कंपनियों में कार्यरत भोपाल निवासी अशोक कुमार गुप्ता एवं 5 अन्य की ओर से दायर की गई है। याचिका में कहा गया कि मध्यप्रदेश की बिजली कंपनियों से 1 जनवरी 2016 से 28 मार्च 2018 तक सेवानिवृत्त हुए अफसरों और कर्मियों को केन्द्रीय अधिनियम पेमेन्ट ऑफ ग्रेच्युटी एक्ट 1972 के अंतर्गत ग्रेच्युटी का लाभ दिया जाना था, जिसकी अधिकतम सीमा 20 लाख रुपए होनी चाहिए थी, लेकिन उन अफसरों और कर्मियों को मप्र पेंशन नियम के अनुसार ग्रेच्युटी दी गई। इससे सेवानिवृत्त अफसरों और कर्मियों की ग्रेच्युटी घटकर आधी रह गई। विशेष अनुमति याचिका में राहत चाही गई है कि सेवानिवृत्त अफसरों और कर्मियों को केन्द्रीय अधिनियम पेमेन्ट ऑफ ग्रेच्युटी एक्ट 1972 के अनुसार ग्रेच्युटी दी जाए, जिसकी अधिकतम सीमा 20 लाख रुपए होनी चाहिए।
हाईकोर्ट ने खारिज कर दी थी याचिका
अधिवक्ता नरिंदर पाल सिंह रूपराह, पवन रेले और नवतेज सिंह रूपराह ने तर्क दिया कि इस मामले में प्रदेश की बिजली कंपनियों से सेवानिवृत्त हुए अफसरों और कर्मियों ने मप्र हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, लेकिन हाईकोर्ट ने याचिका खारिज कर दी। बिजली कंपनियों से सेवानिवृत्त अधिकारियों और कर्मचारियों को केन्द्रीय अधिनियम के तहत ग्रेच्युटी का लाभ दिया जाना चाहिए, जिसकी अधिकतम सीमा 20 लाख रुपए होनी चाहिए। सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब-तलब किया है।
Created On :   9 Feb 2021 1:56 PM IST