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महाराष्ट्र सरकार को पायलट प्रोजेक्ट के रूप में माथेरान में ई-रिक्शा की अनुमति
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को प्रायोगिक आधार पर माथेरान इको-सेंसिटिव ज़ोन में पर्यावरण के अनुकूल ई-रिक्शा शुरु करने के अपने प्रस्ताव को लागू करने की अनुमति दी है, ताकि हाथ से खिंचने वाले रिक्शा को बदलने के लिए इसकी व्यवहार्यता की जांच की जा सके। जस्टिस एल नागेश्वर राव, जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस ए एस बोपन्ना की पीठ ने बीते गुरुवार को एक आवेदन पर सुनवाई की, जिसमें माथेरान इको-सेंसिटिव ज़ोन में इको-फ्रेंडली ई-रिक्शा के संचालन के लिए अधिसूचनाओं में संशोधन की मांग की गई थी। जिस अधिसूचना में संशोधन की मांग की गई थी उसमें क्षेत्र में ठोस कचरे के परिवहन के लिए ट्रैक्टरों, एम्बुलेंस और दमकल के उपयोग को छोड़कर वाहनों के यातायात पर प्रतिबंध लगा दिया गया था।
महाराष्ट्र सरकार की ओर से पेश हुए वकील राहुल चिटनिस ने दलील में कोर्ट को बताया कि सरकार का माथेरान में हाथ से खिंचने वाले रिक्शा के स्थान पर पर्यावरण के अनुकूल ई-रिक्शा की अनुमति देने का प्रस्ताव है। सरकार ई-रिक्शा निर्माताओं के साथ परामर्श कर रही है और एक विस्तृत अध्ययन के बाद राज्य ने 3 महीने के लिए प्रयोगात्मक आधार पर कुछ पर्यावरण के अनुकूल ई-रिक्शा शुरू करने का प्रस्ताव रखा है। इस पर जस्टिस राव ने राज्य सरकार को सुझाव दिया कि हाथगाड़ी खींचने वालों पहचान की जाए और उन्हें ई-रिक्शा उपलब्ध कराया जाए। पीठ ने मामले में राज्य सरकार को एक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश देते हुए कहा कि 3 महीने के लिए और माथेरान में उक्त ई-रिक्शा की व्यवहार्यता का पता लगाने के लिए कुछ ई-रिक्शा शुरू करें। इस मामले में कोर्ट अब 4 महीने बाद सुनवाई करेगा।
Created On :   17 May 2022 9:38 PM IST