कोर्ट के सामने अनशन करने वाले जज ने अब लगाई राष्ट्रपति से गुहार

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कोर्ट के सामने अनशन करने वाले जज ने अब लगाई राष्ट्रपति से गुहार
कोर्ट के सामने अनशन करने वाले जज ने अब लगाई राष्ट्रपति से गुहार

डिजिटल डेस्क, जबलपुर। एमपी हाईकोर्ट के गेट के सामने दो बार अनशन करने वाले निलंबित एडीजे आरके श्रीवास ने देश के राष्ट्रपति को पत्र भेजकर न्याय की गुहार लगाई है। उन्होंने प्रदेश की न्यायपालिका में जनसंख्या नीति का पालन न होने का आरोप लगाते हुए इस मामले की निष्पक्ष जांच कराने की मांग भी की है। एडीजे का यह पांचवा पत्र है, जो मीडिया को सोशल मीडिया पर जारी किया गया है।

एडीजे श्रीवास द्वारा जारी पत्र में कहा गया है कि 26 जनवरी 2001 के बाद तीसरी संतान के पैदा होने पर संबंधित कर्मचारी या अधिकारी को सरकारी नौकरी के लिए अयोग्य माना जाता है। उनका दावा है कि प्रदेश में करीब 15 अपर जिला सत्र न्यायाधीश ऐसे हैं, जिनके यहां 26 जनवरी 2001 के बाद तीसरी संतान हुई है। उनका आरोप है कि तीसरी संतान होने पर जनसंख्या नीति की आड़ में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी को तो नौकरी से बर्खास्त कर दिया जाता है, लेकिन जजों के मामलों में इस नीति का पालन नहीं हो रहा, जो न्यायपालिका की भेदभावपूर्ण नीति को प्रदर्शित करता है। इसके साथ ही 15 माह में अपने चार तबादलों को कटघरे में रखते हुए उन्होंने कुछ अधिकारियों द्वारा प्रताड़ित करने का भी उल्लेख पत्र में किया है। 

संघ ने सीजे को सौंपा ज्ञापन
मप्र न्यायिक कर्मचारी संघ के पदाधिकारियों ने मप्र हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधिपति हेमंत गुप्ता से मुलाकात करके अपनी लंबित मांगों को लेकर एक ज्ञापन सौंपा। संघ ने शेट्टी कमीशन की शेष अनुशंसाओं को प्रदेश सरकार द्वारा लागू कराए जाने,परामर्श दात्री समिति के गठन, चतुर्थ श्रेणी कर्मियों की पदोन्नति सहित अन्य मांगों संबंधी एक ज्ञापन सौंपा। चीफ जस्टिस श्री गुप्ता ने उक्त मांगों का शीघ्र निराकरण करने का आश्वासन भी प्रतिनिधि मंडल को दिया। इस दौरान संघ के प्रांताध्यक्ष राकेश दुबे, संरक्षक आरके देवलिया, प्रांतीय प्रवक्ता दीपांशू शुक्ला, पंकज कुलश्रेष्ठ, चतुर्थ वर्ग न्यायिक कर्मचारी संघ के प्रांताध्यक्ष मानिकराव आलेवार, शिवशंकर दुबे आदि मौजूद थे।                         

Created On :   15 Sept 2017 9:49 AM IST

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