- Home
- /
- राज्य
- /
- महाराष्ट्र
- /
- मुंबई
- /
- बगैर लाईसेंस नहीं चल सकेंगी ओला-उबर...
बगैर लाईसेंस नहीं चल सकेंगी ओला-उबर जैसी एप वाली टैक्सी सेवाएं
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने राज्य में बिना वैध लाइसेंस के चल रही एप आधारित टैक्सी ओला-उबर सहित अन्य सभी ऑपरेटरो को कड़ी फटकार लगाई है। जबकि राज्य सरकार को दो दिन के भीतर प्रदेश के सभी क्षेत्रिय परिवहन कार्यालय (आरटीओ) को लाइसेंस जारी करने के लिए प्राधिकृत करने का निर्देश दिया है। हाईकोर्ट ने साफ किया है कि यदि एप आधारित टैक्सी का ऑपरेटर लाइसेंस पाने में विफल होता है तो उसे राज्य में टैक्सी का परिचालन बंद करना पड़ेगा। कोर्ट ने कहा कि जिस तरह से यह टैक्सिया चल रही है वह पूरी तरह अराजकता की स्थिति को दर्शाती है।
हाईकोर्ट में एप आधारित टैक्सी से जुडी उपभोक्ताओं की दिक्कतों को दुर करने का निर्देश देने की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई चल रही है। सोमवार को यह याचिका मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता व न्यायमूर्ति विनय जोशी की खंडपीठ के सामने सुनवाई के लिए आयी। मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद खंडपीठ ने कहा कि एप अधारित टैक्सियों का बिना लाइसेंस के अनियंत्रित होकर चलना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। इसकी इजाजत नहीं दी जा सकती है। खंडपीठ ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि एप अधरारित टैक्सी ऑपरेटर स्वयं को सर्वेसर्वा समझते हैं।
लाईसेंस के लिए 16 मार्च से करें आवेदन
खंडपीठ ने फिलहाल एप आधारित टैक्सी ऑपरेटरो को 16 मार्च 2022 से आरटीओ के पास लाइसेंस के लिए आवेदन करने को कहा है। इस आवेदन पर आरटीओ 15 दिन के भीतर निर्णय ले। यदि आरटीओ लाइसेंस के आवेदन को रद्द कर देता है तो एप आधारित टैक्सी ऑपरेटर को टैक्सी का परिचालन बंद करना पड़ेगा। इस दौरान ऑपरेटर के पास आरटीओ के आदेश को अपीलीय प्राधिकरण के पास चुनौती देने का अधिकार होगा। वर्तमान में एप अधारारित टैक्सी पर्यटन लाइसेंस पर चल रही है।
इससे पहले उबर टैक्सी की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता जनक द्वारका दास ने कहा कि एप आधारित टैक्सी के लाइसेंस को लेकर केंद्र सरकार ने दिशा निर्देश जारी किया है। इसके आधार पर राज्य सरकार ने अब तक सिर्फ लाइसेंस के लिए नियमावली का मसौदा तैयार किया है। इसके साथ एप आधारित टैक्सी एग्रीगेटर से सुझाव व आपत्तियों को आमंत्रित किया है। जिसे मेरे मुवक्किल ने सौप दिया है। चूंकि राज्य सरकार ने लाइसेंस के लिए नियम नहीं जारी किए हैं इसलिए मेरे मुवक्किल ने लाइसेंस के लिए आवेदन नहीं किया है।
इन दलीलों को सुनने के बाद खंडपीठ ने कहा कि कानून में प्रावधान किया गया है कि जब तक राज्य सरकार के नियम तैयार नहीं होते तब तक केंद्र सरकार के दिशा निर्देशों के तहत लाइसेंस के लिए आवेदन किया जाए लेकिन ऐसा नहीं किया गया है। इस लिहाज से देखा जाए तो एप आधारित टैक्सी बिना लाइसेंस के चल रही हैं। यह दुर्भाग्यपूर्ण है। इस दौरान खंडपीठ ने उबर की ओर से केंद्र सरकार की से जारी किए गए दिशा निर्देर्शों पर जताई गई आपत्तियों पर हैरानी जाहिर की। जिसके तहत कहा गया है कि ड्राइवर के कार्य के घंटो पर नजर नहीं रखी जा सकती है। लाइसेंस शुल्क को लेकर भी कुछ बाते कही गई थी। इससे नाराज खंडपीठ ने कहा कि कैसे ड्राइवर पर नजर नहीं रखी जा सकती।
खुद चलानी पड़ी टैक्सी
प्रसंगवश खंडपीठ ने अपने बेटे की ओर भेजे गए। एक वीडियो का ज़िक्र किया। जिसके तहत एप आधारित टैक्सी ड्राइवर इतना थका हुआ था कि उसे नीद आ रही थी। जिसके चलते मेरे बेटे को गाड़ी चलानी पड़ी। इस तरह खंडपीठ ने सभी एप आधारित टैक्सी ऑपरेटर को लाइसेंस के लिए आवेदन करने का निर्देश दिया और मामले की सुनवाई चार सप्ताह तक के लिए स्थगित कर दी है।
Created On :   7 March 2022 8:22 PM IST