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संकट से शिक्षक का सबक - बगीचे को समर्पित कर दी करोड़ों की जमीन

विटामिन-सी से भरपूर फलों से लदे उद्यान में अब औषधीय पौधों की गमक
डिजिटल डेस्क सतना। शिक्षक बच्चों को पर्यावरणीय महत्व का सबक सिखाते हैं, लेकिन कोरोना वायरस के संक्रमण की वैश्विक महामारी के बीच बढ़े पर्यावरणीय महत्व और प्राणवायु आक्सीजन की आवश्यकता से प्रेरित अमिलिया शासकीय स्कूल के एक शिक्षक बुधेन्द्र सिंह ने अपनी करोड़ो रुपए मूल्य की 3 एकड़ जमीन विटामिन-सी से भरपूर फलों के उद्यान के लिए समर्पित कर दी।
20 प्रजाति के 300 पेड़-पौधे :——
कोठी कस्बे से लगे सोनौर गांव के उनके परंपरागत बगीचे की खुशबूदार हवा में 20 प्रजाति के आमों के साथ आंवला, नीबू, अमरूद और करौंदा के अलावा सतावर, तुलसी, अश्वगंधा, एवं लालवंती गमक रही है। बगीचे में 300 से भी ज्यादा पेड़-पौधे शुद्ध आक्सीजन दे रहे हैं। शिक्षक बुधेन्द्र बताते हैं यह संकट से सबक है। बुधेन्द्र ने कहा कि कोरोना काल में हर तरफ पौध रोपड़ के संदेश से प्रेरित होकर उन्होंने करोड़ों रुपए मूल्य की भूमि बगीचे को समर्पित कर दी है।
और,उधर अनार का भी बाग :——-
* कोरोना काल में पपीते के 600 क्ंिवटल फल घर बैठे हाथो हाथ निकल गए
सतना-नागौद मार्ग पर नवस्ता के पास दो किसानों बाल्मीक बागरी और रामसुख बागरी की मेहनत भी रंग लाई है। अनार और पपीते के इन बागों को देख कर महाराष्ट्र और आंध्रा के बागानों का भ्रम बरबस हो उठता है। अनुसूचित जाति वर्ग के इन किसानों की राय में धान और गेहंू की परंपरागत खेती के विपरीत उन्होंने संक्रमण काल में इम्युनिटी बूस्टअप फलों की फसल लेने का फैसला लिया। उन्हें घर बैठे जमकर मांग भी मिली। तकरीबन 10 गुना आय के साथ खेती मुनाफे का धंधा बन गई। बाग में अनार के 2500 पौधे फलों से लदे हैं। बाल्मीकि और रामसुख ने बताया कि नर्सरी के लिए वह दमोह से पपीते के ताइवान वैरायटी 786 के बीज लाए थे। कोरोना काल में पपीते के 600 क्ंिवटल फल हाथों हाथ निकल गए।
Created On :   5 Jun 2021 2:28 PM IST