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अपने ही रिश्तेदार को चेयरमेन ने बनाया स्टेट बार का सेक्रेटरी!

काउंसिल के पिछले 5 वर्षों में आरोपित तौर पर हुए घपलों की जांच कराने वकीलों ने की महाधिवक्ता से मांग
जिटल डेस्क जबलपुर । सुप्रीम कोर्ट द्वारा चुनाव प्रक्रिया पर रोक लगाए जाने के बाद डेमोक्रेटिक लॉयर्स फोरम ने सनसनीखेज खुलासा किया है। पदेन अध्यक्ष व महाधिवक्ता को दिए ज्ञापन में आरोप लगाया गया है कि चेयरमेन शिवेन्द्र उपाध्याय ने अपने ही रिश्तेदार को काउंसिल में सचिव बना दिया। इतना ही नहीं, आवेदन में काउंसिल में जमकर घपले होने का आरोप लगाते हुए पिछले 5 वर्षों का ऑडिट कराने और नियम विरुद्ध हुई भर्ती को निरस्त करने की मांग भी की गई है।फोरम के अध्यक्ष ओपी यादव और सचिव रवीन्द्र गुप्ता ने महाधिवक्ता को ज्ञापन देकर बार काउंसिल में जारी अवैध गतिविधियों पर रोक लगाए जाने की मांग की है। ज्ञापन में आरोप है कि बार काउंसिल द्वारा सुप्रीम कोर्ट में मामला दायर करने की वजह से ही पूरी चुनाव प्रक्रिया पर रोक लगा दी गई, जिसकी वजह से न सिर्फ उम्मीदवार, बल्कि वकीलों की पूरी बिरादरी ही नाराज है। काउंसिल के सेक्रेटरी ने महाधिवक्ता की इजाजत के बिना ही यह मामला सुको में दायर किया था। फोरम ने मांग की है कि सुप्रीम कोर्ट में बिना वजह मामला दायर करने के लिए जांच में जो भी जिम्मेदार पाया जाता है, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाए।
एक ही दिन में हो गई परीक्षा, अंक भी मिल गए
ज्ञापन में आरोप लगाया गया है कि स्टेट बार काउंसिल में नियमित सचिव की नियुक्ति के लिए एक साल पहले विज्ञापन जारी हुआ था। उसके बाद अचानक चेयरमेन शिवेन्द्र उपाध्याय द्वारा फोन पर दिए निर्देशों पर कुछ उम्मीदवार लिखित परीक्षा देने बुलाए गए। अगले दिन मौजूदा सचिव प्रशांत दुबे को नियुक्त करने औपचारिक लिखित परीक्षा आयोजित की गई और उसी दिन उनकी कॉपी चैक करके अंक भी दे दिए गए। उसी दिन प्रशांत दुबे को नियुक्ति पत्र भी दे दिया गया। ऐसे में प्रशांत दुबे की नियुक्ति से संबंधित पूरा रिकार्ड बुलाया जाए और जांच के पूरे होने तक उन्हें सस्पेण्ड किया जाए। काउंसिल में कार्यकारी सचिव के पद पर नलिनकांत बाजपेयी की नियुक्ति को भी अवैध बताया गया है, क्योंकि नियमों में ऐसी नियुक्ति का कोई प्रावधान ही नहीं है।
निजी कार्यक्रम में सदस्यों को बुलाने रीवा में हुई बैठक
ज्ञापन में एक आरोप यह भी लगाया गया है कि मौजूदा चेयरमेन शिवेन्द्र उपाध्याय के रीवा स्थित आवास में दो वर्ष पूर्व निजी आयोजन था। उस आयोजन में काउंसिल के सभी सदस्यों को बुलाने के लिए रीवा में जनरल बॉडी की मीटिंग आयोजित की गई और उसका पूरा खर्च स्टेट बार ने उठाया। आरोप यह भी है कि पिछले 3 से 5 वर्षों में काउंसिल में जमकर घोटाले हुए हैं। काउंसिल की नई इमारत बनाने के लिए एक ठेकेदार को 16 लाख रुपए एडवांस के रूप में दिए गए। इसके लिए जनरल बॉडी की कोई अनुमति ही नहीं ली गई और न ही टेण्डर बुलाए गए। इसी तरह काउंसिल में रेनोवेशन का काम भी चेयरमेन द्वारा रीवा और सीधी से बुलाए गए लोगों से बिना किसी टेण्डर के कराया गया।
ज्ञापन का कर रहे परीक्षण
फोरम द्वारा दिए गए ज्ञापन का फिलहाल परीक्षण किया जा रहा है। परीक्षण के बाद उस पर उचित कार्रवाई की जाएगी। ज्ञापन की प्रतियां मप्र स्टेट बार काउंसिल के अलावा बार काउंसिल ऑफ इण्डिया को भी भेजी गईं हैं। ज्ञापन से प्रथम दृष्टया प्रतीत होता है कि काउंसिल में कार्यकारी सचिव जैसा कोई पद का प्रावधान ही नहीं है।
शशांक शेखर, महाधिवक्ता व पदेन अध्यक्ष
सचिव की नियुक्ति जनरल बॉडी ने की
सचिव के पद पर प्रशांत दुबे की नियुक्ति नियमानुसार जनरल बॉडी द्वारा की गई है। वो हमारे रिश्तेदार नहीं है। फोरम ने घपले के जो आरोप लगाए हैं, वे सभी निराधार हैं। बार काउंसिल की नई इमारत के निर्माण का टेण्डर नई कार्यकारिणी द्वारा किया जाएगा इसलिए एडवांस देने का सवाल ही नहीं उठता।
शिवेन्द्र उपाध्याय, निवर्तमान चेयरमेन
Created On :   6 Dec 2019 1:49 PM IST