खुद ही पस्त है शहर की डायल 100 - घिस गए टायर, हाँफनेे लगे इंजन

The city itself is battered Dial 100 - worn out tires, engines engulfed
खुद ही पस्त है शहर की डायल 100 - घिस गए टायर, हाँफनेे लगे इंजन
खुद ही पस्त है शहर की डायल 100 - घिस गए टायर, हाँफनेे लगे इंजन

टेण्डर प्रक्रिया निरस्त होना देख कंपनी ने बंद किया सुधार कार्य

डिजिटल डेस्क जबलपुर । पुलिस जिन डॉयल-100 वाहनों के भरोसे शहर के अपराधियों को पकडऩे में सक्रिय रहती है। वही गाडिय़ाँ इन दिनों भगवान भरोसे हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि अधिकांश वाहनों के चके पूरी तरह से घिस चुके हैं, तो कई के इंजन तक अब जवाब देने लगे हैं। इसके बावजूद इनका सुधार कार्य महज इसलिए नहीं हो रहा है क्योंकि बीते 10 मार्च को संबंधित कंपनी का टेण्डर समाप्त हो चुका है। उसने इन गाडिय़ों का सुधार कार्य करना ही बंद कर दिया है। हालात ये हैं कि 44 टायरों की जरूरत बताने पर भी पुलिस विभाग को ये टायर मुहैया नहीं कराए जा रहे हैं। 
1 नवम्बर 2015 से शुरू हुआ संचालन 
जानकारों की मानें तो अपराधों की रोकथाम के उद्देश्य से जबलपुर में डॉयल-100 वाहनों का संचालन 1 नवम्बर 2015 से प्रारंभ किया गया था। इसके लिए भोपाल स्थित एक कंपनी के साथ 5 वर्ष के लिए सरकार का टेण्डर हुआ और अभी कुल 45 वाहन शहर की सड़कों पर दौड़ रहे हैं। इनमें से ओमती, सिविल लाइन, अधारताल, रांझी, घमापुर, गोरखपुर एवं लार्डगंज थानों में 2-2 डॉयल-100 की गाडिय़ाँ मुहैया कराई गई हैं, तो वहीं बेलबाग, ग्वारीघाट, गोराबाजार, तिलवारा एवं गढ़ा सहित सभी ग्रामीण थानों में 1-1 वाहन उपलब्ध कराए गए हैं। 
अधिकांश के चके घिसे और 5 वाहन पड़े खराब 
 पिछले लम्बे समय से दौड़ते रहने के कारण अधिकांश डॉयल-100 वाहनों की हालत खराब हो चुकी है, स्थिति यह है कि अधिकांश के चके घिस गए हैं तो वहीं कई के इंजनों में भी बार-बार तकनीकी खराबियाँ आ जाती हैं। इतना ही नहीं पिछले 25 दिन से 5 वाहन तो पूरी तरह से खराब होकर धूल खा रहे हैं ।
और अभी तक उन्हें सुधारा नहीं जा सका है। 
बार-बार माँग करने पर भी नहीं मिले 44 टायर 
 डॉयल-100 वाहन किस हद तक उपेक्षा झेल रहे हैं। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि खराब होने के बाद इनमें लगाने के लिए 44 नए टायरों की माँग शासन एवं कंपनी से की जा चुकी है। इतना ही नहीं जो 5 वाहन खराब पड़े हैं उन्हें भी दुरुस्त कराने लगातार पत्र व्यवहार किया जा रहा है, लेकिन इसके बावजूद अभी तक न तो टायर ही मिले हैं और न ही खराबी झेल रहीं गाडिय़ों को ही दुरुस्त किया जा सका है। 
फर्जी कॉल्स भी बने मुसीबत
विभिन्न थानों में संलग्न इन डॉयल-100 वाहनों को हर महीने 10 से 12 फर्जी कॉल्स भी लगातार आते हैं। इतना ही नहीं एक साथ 2-3 वारदातों के घटित होने पर किसी एक जगह पर ये वाहन अगर समय पर नहीं पहुँचते हैं, तो लोग ड्राइवर एवं पुलिस कर्मियों के साथ गाली-गलौज भी करने लगते हैं। इस तरह तकनीकी खराबियों एवं जनता के रोष जैसी दोहरी समस्याएँ डॉयल-100 में तैनात अमले को झेलनी पड़ रही हैं। 
टेण्डर समाप्त होने से उपेक्षा
पुलिस विभाग में जिस कंपनी के वाहन लगे हुए हैं। उसका टेण्डर शासन के साथ बीते 10 मार्च को समाप्त हो चुका है और भोपाल में नयी टेण्डर प्रक्रिया भी शुरू होने वाली है। शायद इसी के चलते कंपनी द्वारा इन पुराने हो चुके वाहनों को सुधरवाने में रुचि नहीं ली जा रही है और जब तक नया टेण्डर नहीं हो जाता, तब तक पुलिस जवानों को इन्हीं कबाड़ हो चुके वाहनों से ही काम चलाना पड़ेगा। 
क्या कहते हैं जिम्मेदार
जिन भी वाहनों में खराबियाँ आती हैं तो उन्हें दूर करवाने हम कंपनी से संपर्क करते हैं और इसके लिए लगातार चर्चा भी की जाती है। पिछले दिनों 44 टायरों की जरूरत भी हमने बताई है, लेकिन अभी तक ये नहीं मिल सके हैं। आगामी दिनों में डॉयल-100 के लिए नया टेण्डर होने वाला है और जब यह प्रक्रिया पूरी हो जाएगी, तब शायद नए वाहन हमें मिल सकेंगे। 
मनीष राय, निरीक्षक, रेडियो शाखा कंट्रोल रूम
 

Created On :   13 March 2021 3:57 PM IST

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