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लॉकडाउन के चलते शुद्ध हुई शहर की आबोहवा,डेंजर जोन से कई पायदान नीचे आया आंकड़ा
डिजिटल डेस्क कटनी। कोरोना के कहर को रोकने के लिए 21 दिन के लॉकडाउन से शहर की आबोहवा तंदुरस्ती की ओर बढ़ रही है। एक पखवाड़ा पहले तक जहां बाजार में वाहनों के दौडऩे से खुले वातावरण में सांस लेने में लोगों का दम फूल रहा था, वहीं जनता कफ्र्यू के बाद वायु प्रदूषण में लगातार सुधार होते गया। लॉकडाउन में तो हवा में जो हानिकारक कण रहे, उनका भी स्तर डेंजर जोन से कम रहा। पंद्रह दिन के अंदर इसमें करीब पचास फीसदी सुधार हुआ। 19 मार्च की स्थिति में वायु प्रदूषण का स्तर 151 रहा। लोगों के घरों में रहने और सडक़ों में वाहन नहीं निकलने से 4 मार्च तक की स्थिति में यह घटकर 86 पर पहुंच गया। प्रदूषण विभाग के अधिकारी बताते हैं कि अरसे बाद हवा की शुद्धता इस तरह से बनीं रही कि बच्चों और बुजुर्गों के लिए भी यह हवा लाभदायक रही। पीएम-2.5, पीएम 10, नाइट्रस ऑक्साइड, सलफर डॉइऑक्साइड, अमोनिया और कार्बन मोनो ऑक्साइड में भी कमीं दर्ज की गई।
पार्टिकुलेट मैटर रहे दायरे में-
शनिवार को पीएम 2.5 और पीएम 10 लक्ष्मण रेखा के अंदर ही रहे। पीएम 2.5 का स्तर 41 रहा। इसी तरह से पीएम 10 का स्तर 80 रहा। इसे इस तरह से समझ सकते हैं पीएम यानी पार्टिकुलेट मैटर प्रदूषण की एक किस्म है, इसके कण बेहद सूक्ष्म होते हैं। पीएम 2.5 प्रदूषण में शामिल वो सूक्ष्म संघटक हैं, जिसे मानव शरीर के लिए सबसे खतरनाक माना जाता है। पीएम 2.5 या पीएम 10 हवा में कण के साइज को बताता है। आम तौर पर हमारे शरीर के बाल पीएम 50 साइज के होते हैं। इससे आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि पीएम 2.5 कितने बारीक कण होते होंगे। 24 घंटे में हवा में पीएम 2.5 की मात्रा 60 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर होनी चाहिए। जबकि पीएम 10 की मात्रा 100 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर होनी चाहिए। हवा में मौजूद यही कण हवा के साथ हमारे शरीर में प्रवेश कर खून में घुल जाते हैं। इससे शरीर में कई तरह की बीमारी जैसे अस्थमा और सांसों में दिक्कत होती है।
यह है हवा की स्थिति-
दिनांक पीएम 2.5 +/- पीएम-10 +/-
19 मार्च 106 +46 151 + 51
21 मार्च 79 +19 134 +34
23 मार्च 51 +1 73 -27
4 अप्रैल 41 -9 80 -20
इस तरह से रहा वायु प्रदूषण
दिनांक लेवल स्थिति
19 मार्च 151 ठीक नहीं
21 मार्च 134 ठीक नहीं
23 मार्च 93 संतोषजनक
4 अप्रैल 86 संतोषजनक
वाहनों से अधिक प्रदूषण-
आरटीओ कार्यालय में दोपहिया और चार-पहिया वाहनों की रजिस्टर्ड संख्या करीब 1 लाख 75 हजार के आसपास है। इस तरह से यदि एक दिन में तीस प्रतिशत वाहन भी शहर से गुजरते रहे तो सलफर डॉइऑक्साइड और अन्य खतरनाक गैस की मात्रा हवा मेें बढ़ जाती थी। पंद्रह दिनों से लोक घरों में रहकर कोरोना से लड़ाई लड़ रहे हैं। जिसके चलते हवा में लगातार सुधार हुआ है।
खतरनाक गैस उत्सर्जन में कमी-
वायु प्रदूषण में जो खतरनाक गैस सीधे रुप से स्वास्थ्य पर विपरीत असर डालते हैं। वे भी ग्रीन जोन में रहे। सलफर डॉइऑक्साइड , कार्बन मोनो ऑक्साइड, नाइट्रस ऑक्साइड और अमोनिया का मात्रा हवा में अत्यंत कम रहा। सलफर डॉइ ऑक्साइड का लक्ष्मण रेखा 80 तक है, लेकिन वाहनों के नहीं निकलने से शनिवार को हवा में इसका मात्रा 6 के आसपास ही रहा। इसी तरह से नाइट्रोजन ऑक्साइड का मात्रा 21 और अमोनिया का मात्रा 11 रहा। लॉकडाउन के चलते हवा में सुधार हुआ है। वाहनों के नहीं निकलने के साथ अन्य कारण हैं। फिलहाल अधिकारी और कर्मचारी घरों से ही काम कर रहे हैं। जनता कफ्र्यू और लॉकडाउन में एयर क्वालिटी पर लगातार नजर रखी जा रही है। यह अच्छी बात है कि शहर के सभी जगहों पर प्रदूषण कम हुआ है।
-हेमंत तिवारी, क्षेत्रीय प्रदूषण अधिकारी
Created On :   5 April 2020 5:33 PM IST