दो सोनोग्राफी सेंटर्स के संचालक की मृत्यु फिर भी उन्हीं के नाम पर रिन्यूअल की बनी मजबूरी

The death of the operator of two sonography centers is still a compulsion for renewal in his name
दो सोनोग्राफी सेंटर्स के संचालक की मृत्यु फिर भी उन्हीं के नाम पर रिन्यूअल की बनी मजबूरी
दो सोनोग्राफी सेंटर्स के संचालक की मृत्यु फिर भी उन्हीं के नाम पर रिन्यूअल की बनी मजबूरी

पीसीपीएनडीटी एक्ट के तहत नवीनीकरण प्रक्रिया में खामी, स्वास्थ्य विभाग करेगा पत्राचार
डिजिटल डेस्क जिबलपुर ।
गर्भवती महिलाओं की जाँच के दौरान गर्भस्थ शिशु के लिंग की जानकारी देना अपराध है। बालिका बचाओ अभियान के तहत सरकार ने इसके लिए प्री-कंसेप्शन एंड प्री-नेटल डायग्नोस्टिक टेक्निक्स (पीसीपीएनडीटी) एक्ट 1994 में बनाया था। इसके तहत सोनोग्राफी सेंटर्स चलाने के लिए इसकी अनुमति के साथ ही हर पाँच साल में नवीनीकरण कराना जरूरी होता है। इस नवीनीकरण की ऑनलाइन प्रक्रिया की खामी के कारण शहर के दो सेंटर्स में ऐसे संचालकों के नाम चल रहे हैं जिनकी मृत्यु हो चुकी है। वहीं मेडिकल में एक मशीन जिन डॉक्टर्स के नाम पर दर्ज हुई थीं वे रिटायर हो गए फिर भी नवीनीकरण के लिए उन्हीं का नाम ऑनलाइन प्रोफार्मा में दर्ज किया जा रहा है। गत दिवस सीएमएचओ ऑफिस में हुई पीसीपीएनडीटी समिति की बैठक में यह मामला आया, जिसके बाद शासन और वर्तमान सेंटर्स को नाम परिवर्तन के लिए पत्र लिखने का निर्णय हुआ। 
यह है प्रक्रिया
 सोनोग्राफी सेंटर की स्थापना के लिए इस एक्ट के तहत संस्था संचालक के साथ ही उस रेडियोलॉजिस्ट का नाम भी पंजीकृत होता है जिसे मशीन चलानी होती है। इसमें सोनोग्राफी किए जाने सहित अन्य रिकॉर्ड रखने की जिम्मेदारी भी संबंधित रेडियोलॉजिस्ट की होती है। हर पाँच साल में इसका नवीनीकरण कराना आवश्यक होता है। 
यहाँ हो रही परेशानी
विक्टोरिया में आयोजित बैठक में सदस्यों ने इस खामी के व्यावहारिक पहलुओं पर भी चर्चा की। बैठक में डॉ. आरके खरे व अन्य सदस्य थे। बताया गया कि सेंटर के नवीनीकरण के लिए ऑनलाइन फॉर्म में जब पूर्व रजिस्टर्ड डॉक्टर का नाम दर्ज किया जाता है तभी आगे की प्रोसेस चालू होती है जिसके कारण नाम परिवर्तन नहीं किया जा सकता। यही कारण है कि संबंधित रेडियोलॉजिस्ट के न होने पर भी उन्हीं के नाम से रिन्यूअल कराना मजबूरी है। नाम बदलाव के लिए नए सिरे से आवेदन करना होगा जिसकी फीस भी काफी ज्यादा व प्रक्रिया लंबी है। समिति ने इस संबंध में सेंटर संचालकों को नाम परिवर्तन कराने के साथ ही शासन को इस ऑनलाइन प्रक्रिया में मृत्यु के बाद नवीनीकरण के लिए नाम परिवर्तन के ऑप्शन को भी शामिल करने पत्र लिखने का निर्णय लिया है। पूर्व सीएमएचओ  रेडियोलॉजिस्ट डॉ. मनीष मिश्रा ने बताया कि यह एक्ट उन सोनोग्राफी सेंटर्स पर लागू होता है जहाँ गर्भवती महिलाओं की जाँच होती है।

Created On :   5 Dec 2020 3:08 PM IST

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