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कलेक्टर के निर्णय से 3 गांवों का रास्ता खुला -शासकीय आराजी को पटवारी ने अपने ही नाम करा ली थी आवंटित

डिजिटल डेस्क सतना। कच्ची सड़क से कीचड़ के बीच आवागमन को मजबूर 3 गांवों के वासिंदों को कलेक्टर के निर्णय के बाद आम रास्ता मिल गया है। इसके साथ ही तीनों गांवों की करीब साढ़े 3 हजार से अधिक आबादी आवागमन की सुविधा के साथ राहत मिल गई है।
40 साल का संघर्ष, अब आया परिणाम
वर्ष 80-81 में मझियार गांव निवासी यज्ञनारायण सिंह उसी हल्के में पटवारी बतौर पदस्थ थे। इसी दौरान तत्कालीन हल्का पटवारी ने रास्ते की शासकीय आराजी नंबर 448 को अपने नाम राजस्व रिकार्ड में दर्ज करा ली। शासकीय से निजी खाते में आराजी दर्ज किए जाने का आदेश 4 नवम्बर 1981 के आवंटन के तहत जारी हो गया। विवाद की वजह तब सामने आई, जब प्रधानमंत्री सड़क योजना के तहत रोड़ निर्माण में 100 मीटर का निर्माण रोक दिया गया। बली सिंह ने तहसील कार्यालय में की। शिकायत पर तहसीलदार रामपुर बघेलान ने जांच की और पाया कि पटवारी ने पद का दुरूपयोग करते हुए अपने नाम पट्टा (आवंटन) करा लिया है लेकिन रिकार्ड में आवंटन उपलब्ध नहीं पाया गया। प्रतिवेदन में यह भी उल्लेख किया कि खसरे की प्रविष्ट फर्जी प्रतीत होती है।
कलेक्टर कोर्ट में दर्ज हुआ मामला
जांच प्रतिवेदन के आधार पर कलेक्टर कोर्ट ने प्रकरण को स्वनिगरानी (स्वमोटो) में दर्ज कर कारण बताओ नोटिस जारी कर यथास्थिति का आदेश दिया। स्थगन आदेश के उल्लंघन पर थाने में एफआईआर दर्ज की गई। अनावेदक पटवारी ने कारण बताओ नोटिस के जवाब में पट्टे को सही बताया और राजनैतिक दुश्मनी पर असत्य शिकायत का जवाब पेश करते हुए 40 साल बाद निगरानी पर सवाल उठाए।
आवंटन निरस्त, भूमि शासकीय दर्ज
अधिवक्ता अशोक सिंह ने बताया कि कलेक्टर न्यायालय ने सुनवाई के बाद यह माना कि आवंटन नियमों का पालन नहीं किया गया। पटवारी भूमिहीन व्यक्ति नहीं था और आवंटन के लिए विभाग से अनुमति भी नहीं ली गई। इस विवेचना के साथ कलेक्टर कोर्ट ने आवंटन निरस्त कर भूमि को शासकीय दर्ज किए जाने का आदेश पारित किया है। कलेक्टर कोर्ट ने अनुविभागीय अधिकारी रामपुर बघेलान को राजस्व रिकार्ड में भूमि शासकीय दर्ज कर अतिक्रमण मुक्त कराने के निर्देश दिए हैं।
Created On :   18 July 2020 5:40 PM IST