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स्ट्रीट डॉग्स का खौफ ऐसा कि देर रात घर जाने में छूट जाता है पसीना
घरों के आसपास रात भर भौंकते हैं आवारा श्वान, कई लोगों की नींद पूरी नहीं होती
डिजिटल डेस्क जबलपुर । देर रात तक काम करने वाले लोग जब घरों के लिए रवाना होते हैं तो उनके मन में आवारा कुत्तों का खौफ साफ नजर आता है। कई लोग तो इसी डर से घर नहीं जाते हैं, बल्कि सुबह का इंतजार करते हैं। कई कॉलोनियों और अपार्टमेंटस में लोगों की नींद पूरी नहीं हो पा रही है क्योंकि पूरी रात कुत्ते भौंकते हैं जिसके कारण लोगों को चिकित्सकों की सेवाएँ लेनी पड़ रही हैं। शहर में हजारों की संख्या में आवारा श्वान हैं, जबकि उनकी आबादी को नियंत्रित करने के िलए िनगम के पास नाकाफी इंतजाम हैं। केवल एक सेंटर में श्वानों की नसबंदी की जा रही है, जबकि उनकी आबादी कई गुना बढ़ रही है। वर्ष 2012 में हुई 19वीं पशु गणना में आवारा कुत्तों की संख्या 15 हजार 447 बताई गई थी जो वर्ष 2018 की गणना में बढ़कर 24 हजार 660 हो गई। नगर निगम का दावा है िक वर्ष 2011 से आवारा कुत्तों की नसबंदी का अभियान शुरू किया गया और अब तक करीब 50 हजार से अधिक श्वानों की नसबंदी की जा चुकी है।
इन क्षेत्रों में बढ़ता जा रहा आतंक 8आवारा कुत्तों का आतंक शहर के मध्य स्थल सिविक सेंटर से लेकर उपनगरीय क्षेत्रों तक में बढ़ रहा है। बल्देवबाग, दमोहनाका, त्रिमूिर्त नगर, शांतिनगर, सिविल लाइन डिलाइट, इंदिरा मार्केट, कांचघर रोड, घमापुर चौक, रद्दी चौकी, गोरखपुर, कटंगा, कछपुरा, पुराना बस स्टैंड, रसल चौक आदि ऐसे क्षेत्र हैं जहाँ रात 10 बजे के बाद आवारा कुत्तों का आतंक बढ़ जाता है। ये सड़कों से लेकर पार्कों, दुकानों और सार्वजनिक भवनों के आसपास डेरा डाल लेते हैं।
ट्टअभी नगर निगम द्वारा कठौंदा में स्थापित डॉग शेल्टर होम में आवारा श्वानों की नसबंदी की जा रही है। भविष्य में ऐसे कुछ और शेल्टर होम खोलने की योजना है जिससे इनकी संख्या को नियंत्रित िकया जा सकेगा। रोजाना डॉग कैचर िवभिन्न क्षेत्रों से कुत्तों को पकड़कर लाते हैं और उनकी नसबंदी की जाती है।
-भूपेन्द्र सिंह, स्वास्थ्य अधिकारी नगर िनगम
Created On :   17 Jun 2021 7:06 PM IST