केन्द्र और राज्य सरकार से हाईकोर्ट ने पूछा - असंगठित मजदूरों व छोटे-मझोले दुकानदारों को सहायता क्यों नहीं

The High Court asked the Central and State Government - Why not help the unorganized laborers
केन्द्र और राज्य सरकार से हाईकोर्ट ने पूछा - असंगठित मजदूरों व छोटे-मझोले दुकानदारों को सहायता क्यों नहीं
केन्द्र और राज्य सरकार से हाईकोर्ट ने पूछा - असंगठित मजदूरों व छोटे-मझोले दुकानदारों को सहायता क्यों नहीं

डिजिटल डेस्क जबलपुर । मप्र हाईकोर्ट ने केन्द्र व राज्य सरकार, रिजर्व बैंक और नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी (एनडीएमए) से पूछा है कि कोरोना काल में मध्य प्रदेश के असंगठित मजदूरों और छोट-मझौले दुकानदारों को क्यों नहीं सहायता दी गई। जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव और जस्टिस नंदिता दुबे की डिवीजन बैंच ने अनावेदकों को दो सप्ताह में जवाब पेश करने का निर्देश दिया है। 
यह है मामला 
 यह जनहित याचिका हाथीताल जबलपुर निवासी एवं महाकोशल असंगठित कर्मचारी संघ के अध्यक्ष कृपाशंकर वर्मा ने दायर की है। याचिका में कहा गया है कि कोरोना महामारी के कारण 20 मार्च 2020 से प्रदेश के असंगठित मजदूर और छोटे-मझौले दुकानदार लगातार लॉकडाउन की मार झेल रहे हैं। लगातार लॉकडाउन से उनकी जमा पूँजी समाप्त हो गई है, ज्यादातर लोग कर्ज के बोझ तले दबे हुए हैं। ऐसे में कोरोना की दूसरी लहर में दोबारा हुए लॉकडाउन ने असंगठित मजदूरों को भुखमरी की कगार पर पहुँचा दिया है। अभी तक असंगठित मजदूरों के साथ छोटे-मझौले दुकानदारों के लिए केन्द्र व राज्य सरकार, रिजर्व बैंक और एनडीएमए ने कोई सहायता घोषित नहीं की है। 
एनडीएमए के पास है सहायता देने का अधिकार 
 अधिवक्ता संजय वर्मा, श्रद्धा तिवारी और मीना वर्मा ने तर्क दिया कि नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट की धारा 11, 12 और 13 में एनडीएमए को अधिकार है कि आपदा काल में असंगठित मजदूरों की सहायता करे और उन्हें अनुग्रह राशि प्रदान करे।  इसके साथ ही रिजर्व बैंक महामारी की वजह से परेशान असंगठित मजदूरों, छोटे-मझौले दुकानदारों को सस्ती दर पर लोन उपलब्ध करवा सकता है, ताकि लोगों को राहत मिल सके। प्रारंभिक सुनवाई के बाद डिवीजन बैंच ने अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब-तलब किया है।

Created On :   22 May 2021 2:53 PM IST

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