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हाईकोर्ट ने पूछा - तीसरी लहर के लिए क्या है एक्शन प्लान
निजी अस्पतालों में इलाज के रेट तय करने के मामले में राज्य सरकार से माँगा जवाब
डिजिटल डेस्क जबलपुर । मप्र हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि कोरोना की तीसरी लहर के लिए उसके पास क्या एक्शन प्लान है। चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक और जस्टिस अतुल श्रीधरन की डिवीजन बैंच ने सरकार से यह भी बताने के लिए कहा है कि क्यों न प्रदेश के निजी अस्पतालों में कोरोना के इलाज के अधिकतम रेट तय किए जाएँ। डिवीजन बैंच ने कहा सरकारी अस्पतालों में खराब पड़े वेेंटिलेटर्स को उपयोग में क्यों नहीं लाया जा रहा है। डिवीजन बैंच ने कोरोना के इलाज को लेकर चल रही मुख्य याचिका के साथ कनेक्ट अन्य याचिकाओं का निराकरण कर दिया है, याचिकाकर्ताओं को यह छूट दी गई है कि वे हस्तक्षेपकर्ता के रूप में मुख्य याचिका में सुझाव दे सकते हैं। मामले की अगली सुनवाई 19 मई को निर्धारित की गई है।
तीसरी लहर के लिए नहीं हैं इंतजाम 7 कोर्ट मित्र एवं वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ ने आवेदन दायर कर कहा है कि भारत सरकार के प्रिंसिपल साइंटिफिक एडवाइजर, आईसीएमआर और अन्य संस्थानों ने चेतावनी दी है कि भारत में कोरोना की तीसरी लहर आने वाली है। तीसरी लहर सबसे ज्यादा 18 वर्ष से कम उम्र वालों के लिए घातक होगी। आवेदन में कहा गया कि जून 2020 में कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में बताया गया कि मध्य प्रदेश के 52 में से 31 जिलों में आईसीयू और 52 में से 16 जिलों में वेंटिलेटर्स नहीं हैं। डिवीजन बैंच ने राज्य सरकार को एक्शन प्लान पेश करने का आदेश दिया है। वहीं महाधिवक्ता पुरुषेन्द्र कौरव ने सरकार का पक्ष रखते हुए कहा संक्रमण के मामलों में कमी आ रही है। जून के पहले सप्ताह तक प्रदेश में लॉकडाउन हटाने की स्थिति आ जाएगी।
अस्पतालों के रेट में दो से तीन गुना तक का अंतर
कोर्ट मित्र एवं वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ ने आवेदन दायर कर बताया कि जबलपुर, इंदौर, भोपाल और ग्वालियर के एक श्रेणी के अस्पतालों के रेट में दो से तीन गुना तक अंतर है। किसी अस्पताल में आईसीयू बेड का 8 हजार तो किसी अस्पताल में 25 हजार रुपए प्रतिदिन लिया जा रहा है। सरकार ने 29 फरवरी 2020 के शेड्यूल रेट से कोरोना के इलाज के लिए 40 प्रतिशत अधिक रेट तय किए थे। श्री नागरथ ने कहा कि सरकार के पास निजी अस्पतालों का रिकॉर्ड ही नहीं है, निजी अस्पतालों ने जो रेट बताए, उसे स्वीकार कर लिया गया। श्री नागरथ ने हर निजी अस्पताल या एक श्रेणी के निजी अस्पतालों के रेट तय करने का अनुरोध किया। इस पर डिवीजन बैंच ने सरकार से जवाब माँगा है।
100 से अधिक वेंटिलेटर्स खराब
श्री नागरथ ने बताया कि प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में 100 से अधिक वेंटिलेटर्स खराब हैं। इनमें से 24 वेंटिलेटर्स शहडोल के जिला अस्पताल में खराब पड़े हैं, पिछले महीने यहाँ पर ऑक्सीजन की कमी से 16 मरीजों की मौत हुई थी। ये वेंटिलेटर्स पीएम केयर फंड से मिले थे। सरकार कह रही है कि मरीजों की मौत ऑक्सीजन की कमी से नहीं हुई है। आवेदन में सरकारी अस्पतालों में चिकित्सकों, तकनीकी स्टाफ और पैरामेडिकल स्टाफ की भी नियुक्ति की माँग की गई है। डिवीजन बैंच ने इस मामले में भी सरकार से जवाब माँगा है।
ग्लोबल टेंडर के जरिए वैक्सीन खरीदने की माँग
मप्र हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर अन्य राज्यों की तरह मध्य प्रदेश सरकार द्वारा भी ग्लोबल टेंडर निकालकर 5 करोड़ वैक्सीन प्रदेश की जनता के लिए खरीदने की माँग की गई है। चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक और जस्टिस अतुल श्रीधरन की डिवीजन बैंच ने मामले की सुनवाई 19 मई को नियत की है। यह याचिका स्टेट बार कौंसिल के सदस्य सुनील गुप्ता की ओर से दायर की गई है। अधिवक्ता सिद्धार्थ राधेलाल गुप्ता ने बताया कि देश में वैक्सीन की कमी को देखते हुए ग्लोबल टेंडर के जरिए वैक्सीन की खरीदी की जाए, ताकि प्रदेश के सभी लोगों को कोरोना से बचाने के लिए वैक्सीन लगाई जा सके।
रक्तदान अभियान : सरकार से माँगा जवाब
मप्र हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर टीकाकरण अभियान के चलते रक्तदान शिविर आयोजित करने की माँग की गई है। चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली डिवीजन बैंच ने इस मामले में राज्य सरकार से जवाब माँगा है। याचिका की सुनवाई 19 मई को आयोजित की जाएगी। यह जनहित याचिका भोपाल निवासी ऋषभ दुबे की ओर से दायर की गई है। याचिका में कहा गया कि 18 से 44 वर्ष के लोगों को तेजी से टीकाकरण किए जाने से रक्तदान में कमी आ सकती है। ऐसे में गर्भवती महिलाओं, थैलेसिमिया और अन्य रक्त विकार से प्रभावित लोगों को रक्त की कमी आ सकती है। इसको देखते हुए रक्तदान शिविर आयोजित कर रक्त एकत्रित किया जाए।
Created On :   18 May 2021 2:38 PM IST