भावों को निर्मल करता है पूजन का विधान- दयोदय गौशाला तीर्थ में आचार्यश्री विद्यासागर महाराज ने कहा

The law of worship purifies the feelings - Acharyashree Vidyasagar in Dayodaya Gaushala Teerth
भावों को निर्मल करता है पूजन का विधान- दयोदय गौशाला तीर्थ में आचार्यश्री विद्यासागर महाराज ने कहा
भावों को निर्मल करता है पूजन का विधान- दयोदय गौशाला तीर्थ में आचार्यश्री विद्यासागर महाराज ने कहा

डिजिटल डेस्क जबलपुर । दयोदय गौशाला तीर्थ तिलवारा घाट में गुरुवार को आचार्यश्री विद्यासागर महाराज ने कहा कि आज पूजन और भोजन की थाली सोने, चाँदी और अन्य पात्रों के माध्यम से सजाई जाती है। पूजन और भोजन सिर्फ सजाने से नहीं होता, इसमें बहुत अंतर है। पूजन आत्मा के भीतर तक उतरता है, भोजन बाहर शरीर को तृप्त करता है। भोजन में पैसे खर्च होते हैं, पूजन में पुण्य संचित होता है। भोजन पाँच इंद्रियों के अलावा कुछ संतुष्ट नहीं करता जबकि पूजन का विधान आपके भावों को निर्मल करता है। पूजन से संचित पुण्य से  निर्मल भाव बढ़ते हैं। पूजन से पाप कर्म समाप्त होते हैं। दयोदय तीर्थ में बन रहे पूर्णआयु आयुर्वेदिक चिकित्सालय में पीडि़त मानवता की सेवा होगी। आचार्यश्री को शास्त्र अर्पित करने का सौभाग्य हैदराबाद से आए इंद्र चंद्र जैन, नीरज एवं मनोज जैन को मिला। आहार सौभाग्य राजकुमार मामा, श्वेता जैन को प्राप्त हुआ।  
 

Created On :   30 July 2021 12:09 PM GMT

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