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चुनाव जीतने वाले बन चुके हैं मंत्री, हारने वाले हो गए बाहर, याचिका औचित्यहीन - हाईकोर्ट ने किया याचिका का निराकरण

डिजिटल डेस्क जबलपुर । मप्र हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक और जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की डिवीजन बैंच ने एक महत्वपूर्ण आदेश में कहा है कि प्रदेश में उप चुनाव हो चुके हैं। इस्तीफा देने के बाद दोबारा चुनाव जीतने वाले मंत्री बन चुके हैं, चुनाव हारने वाले मंत्री पद छोड़ चुके हैं। इसलिए इस्तीफा देने के बाद 14 पूर्व विधायकों को मंत्री बनाए जाने के खिलाफ दायर याचिका की सुनवाई का कोई औचित्य नहीं है। डिवीजन बैंच ने इस अभिमत के साथ याचिका का निराकरण कर दिया है।
यह है मामला
यह याचिका छिंदवाड़ा निवासी अधिवक्ता आराधना भार्गव ने दायर की थी। याचिका में कहा गया है कि मार्च 2020 में कांग्रेस के 22 विधायकों ने अपने पद से इस्तीफा देकर भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली थी। भाजपा सरकार ने तुलसीराम सिलावट, बिसाहूलाल सिंह, ऐदल सिंह कंसाना, गोविंद सिंह राजपूत, इमरती देवी, डॉ. प्रभुराम चौधरी, डॉ. महेंद्र सिंह सिसोदिया, प्रद्युम्न सिंह तोमर, हरदीप सिंह डंग, राज्यवर्धन सिंह, विजेंद्र सिंह यादव, गिरिराज दंडोतिया, सुरेश धाकड़ व ओपीएस भदौरिया को विधायक न रहते हुए भी मंत्री बना दिया। याचिका में सभी 14 मंत्रियों को पद से हटाने की माँग की गई थी।
अनुच्छेद 164 का उल्लंघन
याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता दिनेश उपाध्याय ने तर्क दिया कि संविधान के अनुच्छेद 164 के तहत मंत्री बनने के लिए विधायक होना जरूरी है। मुख्यमंत्री विशेष परिस्थितियों में किसी विद्वान या विषय-विशेषज्ञ को मंत्री बना सकते हैं। 14 पूर्व विधायकों को विधायक न होते हुए भी मंत्री बना दिया गया। इस मामले में ऐसी कोई विशेष परिस्थिति नहीं थी कि एक साथ 14 पूर्व विधायकों को मंत्री बना दिया जाए। यह संविधान के अनुच्छेद 164 का उल्लंघन है। राज्य सरकार की ओर से उप महाधिवक्ता स्वप्निल गांगुली ने तर्क दिया कि नए चुनाव होने के बाद अब याचिका का कोई औचित्य नहीं है। सुनवाई के बाद डिवीजन बैंच ने याचिका को औचित्यहीन पाते हुए याचिका का निराकरण कर दिया है।
Created On :   3 Feb 2021 2:21 PM IST