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जो न्याय के रास्ते पर वही कहलाता है धीर पुरुष

शहीद स्मारक में संगोष्ठी में केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा- भारतीय संस्कृति में दुनियाभर की समस्याएँ दूर करने के तत्व मौजूद
डिजिटल डेस्क जबलपुर । नेताजी सुभाषचन्द्र बोस धीर पुरुष थे। राजा भृतहरि ने धीर पुरुष को परिभाषित करते हुए कहा है कि जो नीति के जानने वाले हैं वे मेरे कार्यों की चाहे निंदा करें या स्तुति। लक्ष्मी आए या चली जाए, मुझे आज मौत आ जाए या सैकड़ों साल जिऊँ... जो सिर्फ न्याय के रास्ते पर चले वह धीर पुरुष है। उक्त उद्गार मुख्य अतिथि केरल के राज्यपाल महामहिम आरिफ मोहम्मद खान ने व्यक्त किए। अवसर था शहीद स्मारक, सभा भवन गोलबाजार में "नेताजी सुभाषचंद्र बोस राष्ट्रवाद और युवा सरोकार' विषय पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी का। उन्होंने कहा कि आजाद हिंद फौज की गतिविधियों से इस कदर भय पैदा हुआ कि अंग्रेज जल्दी भारत छोड़कर चले गए। इसके पीछे नेताजी सुभाषचंद्र बोस का योगदान अभूतपूर्व था। कार्यक्रम की अध्यक्षता केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) प्रहलाद सिंह पटेल ने की। कोलकाता से आए नेताजी के भतीजे चंद्र कुमार बोस, सेवानिवृत्त मेजर जनरल जीडी बख्शी व इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के सदस्य सचिव सच्चिदानंद जोशी भी मंचासीन रहे।
नेताजी के सम्मान में निकला था 52 हाथियों का जुलूस
केंद्रीय मंत्री श्री पटेल ने कहा कि सन् 1939 में कांग्रेस के 52वें अधिवेशन में नेताजी सुभाषचंद्र बोस राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के प्रत्याशी थे, इसीलिए उनके सम्मान में जबलपुर की सड़कों पर 52 हाथियों का जुलूस निकाला गया था। नेताजी जबलपुर के पास सिवनी और फिर जबलपुर की सेंट्रल जेल में राजनीतिक बंदी रहे। इन्हीं यादों को ध्यान में रखते हुए यह कार्यक्रम आयोजित किया गया है।
प्रत्येक भारतवासी नेताजी के परिवार का सदस्य
द्वितीय सत्र में नेताजी के भतीजे श्री बोस ने कहा कि सिर्फ हम नहीं प्रत्येक भारतवासी नेताजी के परिवार का सदस्य है। ऐसा इसलिए क्योंकि नेताजी स्वयं कहते थे कि कोटि-कोटि भारतवासी मेरा परिवार है। नेताजी ने राष्ट्रवाद का जो महामंत्र दिया था, वह आज भी भारत के लिए मार्गदर्शी है।
Created On :   6 March 2021 1:59 PM IST