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कैंसर की शिकायत पर ऑपरेशन हुआ, अब क्लेम देने से कर रहे इनकार
पॉलिसी धारक ने कहा- सारे दस्तावेज देने के बाद भी एचडीएफसी बीमा कंपनी दे रही मानसिक प्रताडऩा
डिजिटल डेस्क जबलपुर । पहले मुझे कोई बीमारी नहीं थी और अचानक तकलीफ होने पर चैक कराने के उपरांत बीमारी का पता चला है लेकिन बीमा कंपनी उसे मानने तैयार नहीं हो रही। ये आरोप पॉलिसी धारक द्वारा लगाए जा रहे हैं। पॉलिसी धारक का कहना है कि बीमा कंपनी क्लेम देने से बचने कैशलेस करने से पहले ही दूरियाँ बना लेती है और उसके बाद जब ऑनलाइन व ऑफलाइन क्लेम के लिए अस्पताल व दवाइयों के सारे बिलों को सबमिट किया जाता है तो अनेक तरह की क्वेरी उसमें निकाली जाती हैं।
पॉलिसी धारक सारे दस्तावेज देता है तो उसके बाद बीमा कंपनी के जिम्मेदार चुप्पी साधकर बैठ जाते हैं। पीडि़तों कहना है कि बीमा कंपनियाँ तरह-तरह से परेशान करती हैं, जिससे पॉलिसी धारक क्लेम के लिए दोबारा आवेदन न करें। पॉलिसी धारकों ने अब जिम्मेदार अधिकारियों से कार्रवाई करने के लिए गुहार लगानी शुरू कर दी है कि बीमा कंपनियों पर सख्ती से कार्रवाई की जाए। पॉलिसी धारकों के अनुसार टोल फ्री नंबर के साथ ही जब अधिकारियों से बात की जाती है तो उनके द्वारा भी सही जवाब नहीं दिया जाता है। बीमा कंपनी वर्तमान में मानसिक रूप से प्रताडऩा दे रही है।
सारे चिकित्सकों की रिपोर्ट देने के बाद भी एचडीएफसी नहीं दे रही जवाब
उज्जैन बडऩगर निवासी अबरार हुसैन ने अपनी शिकायत में बताया कि एचडीएफसी हेल्थ इंश्योरेंस से उन्होंने पाँच लाख की पॉलिसी ले रखी है। नवंबर 2020 में अचानक पत्नी नीलोफर बानो को तकलीफ होने पर अस्पताल में चैक कराया। चैक कराने पर कैंसर की बीमारी होना पाया गया। इलाज के लिए वे बॉम्बे गए और वहाँ पर ऑपरेशन कराया। इलाज के दौरान कैशलेस के लिए वे लगातार प्रयास करते रहे और बीमा कंपनी द्वारा यह जवाब दिया गया कि आप सारे बिल सबमिट करेंगे तो सारे बिलों का भुगतान कर दिया जाएगा। अबरार ने सारे भुगतान अपनी जमा पूँजी से किए। पत्नी के ठीक होने के बाद उनके द्वारा बीमा कंपनी में क्लेम के लिए सारे बिल जब सबमिट किए गए, तो क्वेरी लैटर भेजा गया। उनके द्वारा बॉम्बे के चिकित्सक से पत्र लिखवाकर बीमा कंपनी में सबमिट किया गया, तो इंदौर की चिकित्सक और उसके बाद उज्जैन के चिकित्सक की रिपोर्ट माँगी गई। ये सभी जानकारियाँ एचडीएफसी को दी गईं लेकिन उसके बाद से बीमा कंपनी की तरफ से किसी तरह का जवाब ही नहीं दिया जा रहा है। इससे साफ जाहिर होता है कि बीमा कंपनी क्लेम नहीं देना चाहती। पीडि़त का कहना है कि बीमा कंपनी हमें मानसिक प्रताडऩा दे रही है।
प्रवक्ता नहीं देते सही जवाब 6 जब भी एचडीएफसी जनरल इंश्योरेंस के प्रवक्ता से पॉलिसी धारकों के हित में बात की जाती है, तो सही उत्तर बीमा कंपनी के जिम्मेदार नहीं देते हैं। सीधे तौर पर उनका जवाब यह होता है कि हम पॉलिसी धारकों की गोपनीयता भंग नहीं करते हैं। इसके अलावा 97 प्रतिशत भुगतान का दावा किया जाता है।
स्टार हेल्थ ने कोरोना के मरीज का क्लेम भुगतान ही रिजेक्ट कर दिया
जबलपुर कोतवाली निवासी सौरभ सराफ ने अपनी शिकायत में बताया कि उन्होंने स्टार हेल्थ से हेल्थ के साथ ही कोरोना पॉलिसी ले रखी है। 20 फरवरी को कोरोना संक्रमण का शिकार होने के कारण कोठारी अस्पताल में इलाज के लिए वे भर्ती हो गए थे। अस्पताल में कोरोना पॉलिसी का कार्ड दिखाने पर कैशलेस नहीं हुआ। कैशलेस नहीं होने के कारण पीडि़त ने पूरा भुगतान अपने पास से किया। अस्पताल से छुट्टी होने के बाद पीडि़त ने स्टार हेल्थ में ऑनलाइन व ऑफलाइन सारे बिलों को सबमिट कर दिया। बिल सबमिट होने के बाद स्टार हेल्थ के लोकल कर्मचारियों के द्वारा क्वेरी भेजी गई, जिसे पीडि़त ने सारे तथ्यों के साथ सबमिट कर दिया और जल्द ही पॉलिसी की एवज में भुगतान किए जाने की बात बीमा कंपनी के अधिकारियों द्वारा की जाती रही, लेकिन अचानक बीमा कंपनी के अधिकारियों से सारे डॉक्यूमेंट्स चैक करने के बाद क्लेम ही रिजेक्ट कर दिया। सौरभ ने फिर बीमा कंपनी में अपील की, कि हमारा क्लेम दिया जाए। बीमा कंपनी ने दोबारा सारे डॉक्यूमेंट्स चैक किए और आश्वासन दिया कि हैड ऑफिस में बात करके हम जल्द क्लेम सेटल कराने का प्रयास करेंगे, पर बीमा कंपनी ने नो क्लेम का लैटर पॉलिसी धारक के नाम पर जारी कर दिया।
इनका कहना है
पॉलिसी धारक सौरभ सराफ को क्लेम क्यों नहीं मिला है यह चैक करना पड़ेगा। नियमानुसार हमारी कंपनी लगातार पॉलिसी धारकों के बीमा क्लेम का भुगतान करती आ रही है। हम पॉलिसी धारकों को निराश नहीं कर रहे हैं।
-कुलदीप मिश्रा, स्टार हेल्थ
Created On :   16 Jun 2021 2:14 PM IST