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देवेन्द्रनगर के मरीजों को पहले जिला अस्पताल फिर रीवा मेडिकल कालेज किया जाता है रेफर
डिजिटल डेस्क, पन्ना। स्वास्थ्य विभाग द्वारा देवेन्द्रनगर सामुदायिक स्वास्थ केन्द्र क्षेत्र अंतर्गत अस्पताल में भर्ती होने वाले गंभीर एवं दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल होने वाले मरीजों के रेफर को लेकर बनाई गई व्यवस्था की वजह से ऐसे मरीज जिन्हें जिला अस्पताल से रीवा मेडिकल कालेज के लिए रेफर किया जाता है,परेशानियों से भरी हुई है। इस प्रक्रिया के दौरान समय पर उचित उपचार नहीं मिलने से कई गंभीर मरीजों की मौत हो रही है। इसके बावजूद जिम्मेदारों द्वारा युक्तियुक्त व्यवस्था बनाए जाने का ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
इस तरह की व्यवस्था से उपचार से वंचित हो जाते है कई गंभीर मरीज
देवेन्द्रनगर कस्बा राष्ट्रीय राजमार्ग 39 में बसा है जहां से पश्चिम दिशा में 25 किलोमीटर दूर पन्ना जिला चिकित्सालय और पूर्व दिशा में 100 किलोमीट दूर रीवा मेडिकल कॉलेज है। थाना देवेन्द्रनगर क्षेत्र अतंर्गत हाइवे मार्ग में वाहनों के अत्याधिक आवागमन से आए दिन दुर्घटनाये होती है। ऐसी स्थिति में ज्यादातर गंभीर केसों को पहले देवेंद्रनगर सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र लाया जाता है जहां से प्राथमिक उपचार के बाद जिला चिकित्सालय 108 इमरजेंसी वाहन से पहुंचाने की व्यवस्था है। वहीं यदि पन्ना में इलाज संभव न हो तो प्रोटोकॉल के तहत रीवा मेडिकल कॉलेज रेफर किया जाता है। ऐसे में मार्ग में घायलो को ले जाने तथा लाने की प्रक्रिया में अधिक दूरी तय करना पड़ रहा है साथ ही रेफर की व्यवस्था में लगने वाले अतिरिक्त समय की वजह से रीवा मेडिकल कालेज पहँुचने में अत्याधिक विलंब हो रहा है और इसके चलते गंभीर रूप से घायल दुर्घटनाग्रस्त कई व्यक्तियों की सही उपचार नहीं हो पाने की वजह से उन्हें अपनी जान गंवानी पड रही है। दुर्घटनाग्रस्त मरीज की स्थिति को देखते हुए स्थानीय डॉक्टर के परामर्श पर यदि रीवा मेडिकल कालेज रेफर की आवस्यकता हो तो जिला चिकित्सालय भेजने के रिवाज को खत्म करना चाहिए और जिला एवं प्राथमिक स्वास्थ केंद्र के चिकित्सकों को 108 को परिस्थिति अनुसार रेफर स्थान पर भेजने के अधिकार प्राप्त देवेन्द्रनगर चिकित्सकों को होना चाहिए।
१०८ इमरजेंसी वाहन व्यवस्था पर जिले के स्वास्थ्य विभाग का नहीं है हस्तक्षेप
मरीजों और दुर्घटनाग्रस्त लोगों का परिवहन पूरे प्रदेश में 108 इमरजेंसी वाहन के माध्यम से होता है जिसका संचालन पूरी तरह से भोपाल स्तर पर निर्धारित होता है जिसमे स्वयं जिला चिकित्सा अधिकारी भी हस्तक्षेप नहीं कर पाते। बहरहाल लगातार रात्रि में होने वाली दुर्घटनाओं में हो रहे मौतों को रोकने के लिए जिला स्तर के अधिकारियों को ठोस कदम उठाने की जरूरत है।
Created On :   19 Feb 2022 3:07 PM IST