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जिस सड़क पर चलने का पूरा दाम चुका रही जनता उसमें हादसों का खतरा ज्यादा, डिवाइडर टूटे, जगह-जगह से रेलिंग भी खुल गईं

अंधमूक चौराहे से दोनों ओर कुछ किलोमीटर में खुल गए मौत के द्वार, रफ्तार पर असर, जिस उद्देश्य से चौड़ी सड़क बनी वही पूरा नहीं हो पा रहा, अब भी सँकरी सड़क जैसी स्थिति है चलने के दौरान
डिजिटल डेस्क जबलपुर । लखनादौन से जबलपुर-रीवा तक 2700 करोड़ की लागत से फोरलेन सड़क तैयार तो गई, लेकिन हादसों का खतरा भी इसी के साथ ज्यादा बढ़ गया है। चौड़ी, चिकनी सपाट सड़क बनने के बाद भी मुसीबत बरकरार है। इसकी वजह यह है कि आबादी वाले हिस्सों के करीब इस सड़क में डिवाइडर, रेलिंग अपनी सुविधा के अनुसार काटे और तोड़े जा रहे हैं। डिवाइडर वहाँ से खोले जा रहे हैं जहाँ पर सड़क के मानकों के अनुसार खुले ही नहीं होने चाहिए। रेलिंग जहाँ पर जरूरी हैं वहाँ तोड़ दिए गए हैं। अब इन हालातों में कोई वाहन मुख्य सड़क से जब 100 से 140 की रफ्तार से जा रहा होता है और उसी दौरान कटे डिवाइडर या रेलिंग से कोई अचानक वाहन मुख्य सड़क पर आता है तो एकदम खौफनाक मंजर सामने आ जाता है। इस तरह के हादसे में बचना लगभग नामुमकिन होता है। जिम्मेदार विभाग कुछ सजगता दिखाकर सामने आ रहीं, इन कमियों को दूर कर सकता है वह फिलहाल खामोश नजर आ रहा है। सर्विस रोड से अलग मुख्य सड़क पर चल रहा आदमी जो पूरी ईमानदारी से टोल अदा करता हुआ आगे बढ़ रहा और वही दुर्घटना का शिकार भी हो रहा है। एनएचएआई कहता है कि लोग सहयोग नहीं करते, अपनी सुविधा से रेलिंग व डिवाइडर को तोड़ रहे हैं पर वह आदमी क्या करे जिसके घर का चिराग हाईवे पर लापरवाही की वजह से बुझ रहा है। सड़क सँकरी थी तो परेशानी और जब चौड़ी बनी तो भी मुसीबत बरकरार ही है। खासकर जबलपुर के आसपास छोटे हादसे तो हाईवे में डिवाइडर, रेलिंग तोड़े जाने की वजह से हर दिन हो रहे हैं। इसका कोई हल नजर नहीं आ रहा है।
किलोमीटर में कई जगह तोड़ा गया
पनागर बायपास से आगे बढऩे पर कटंगी, खजरी खिरिया बायपास, पाटन, बहदन रेलवे ब्रिज, अंधमूक चौराहा, लम्हेटा तिराहा, तिलवारा इससे आगे नारायणपुर, मानेगाँव की सीमा तक अनेकों जगहों पर सर्विस रोड, मुख्य सड़क से जुड़कर लोगों ने डिवाइडर का तोड़ दिया है। रेलिंग को अपनी सुविधा के अनुसार काट दिया है। जबलपुर का जो पुराना बायपास हिस्सा है उसमें खासकर 16 किलोमीटर का दायरा ऐसा है जहाँ पर आबादी का घनत्व है, उस हिस्से में अभी फिलहाल परेशानी डिवाइडर, रेलिंग टूटे होने की वजह से ज्यादा सामने आ रही है।
हाईवे पर चलने में यह सुविधा मिले
फोरलेन, सिक्सलेन सड़क पर हाईवे के मानक यही कहते हैं कि घनी आबादी के हिस्से में व्यवस्थित सर्विस रोड हो। वाहन यदि अपनी पूरी रफ्तार पर हो तो किसी तरह की बाधा उसके सामने न आए। पहाड़ इसलिए काटे गए कि वाहन की गति कम न हो, डिवाइडर छोड़ा भी गया है तो वहाँ दुर्घटना की गुंजाइश न हो, रेडियम मार्किंग, संकेत, सूचना फलक पूरी तरह व्यवस्थित लगे होने चाहिए।
इनका कहना है
जहाँ पर भी रेलिंग या डिवाइडर तोड़े जा रहे हैं वहाँ पर एनएचएआई कर्मियों ने पहुँचकर इसको रोकने की कोशिश की है। हमारे कुछ कर्मचारियों को इससे परेशानी भी हुई। हमने प्रशासन को इसके लिए सूचित किया और पुलिस का सहयोग भी माँगा है। फोरलेन बनने के बाद पूरे नाम्र्स का पालन हाईवे पर हो यही हमारी कोशिश है।
सोमेश बांझल, प्रोजेक्ट अधिकारी एनएचएआई
Created On :   29 Dec 2020 3:43 PM IST