सड़क 80 फीट की हो या 40, दोनों में कब्जे 40 से 50 फीसदी तक, इनमें आदमी सहजता से निकले तो कैसे

The road should be 80 feet or 40, both occupy 40 to 50 percent, how can the men get out of them easily?
सड़क 80 फीट की हो या 40, दोनों में कब्जे 40 से 50 फीसदी तक, इनमें आदमी सहजता से निकले तो कैसे
सड़क 80 फीट की हो या 40, दोनों में कब्जे 40 से 50 फीसदी तक, इनमें आदमी सहजता से निकले तो कैसे

जो सड़क थोड़ी चलने लायक उसमें भी परेशानी बरकरार, कभी स्थाई समाधान निकालने की कोशिश ही नहीं की नगर निगम ने
 पीक ऑवर्स में कब्जों की वजह से  सँकरी पड़ जाती हैं चौड़ी सड़कें भी
डिजिटल डेस्क जबलपुर ।
शहर में जहाँ सड़क कुछ सलीके की है, गड्ढे नहीं या फिर चौड़ाई भी कुछ ठीक है ऐसी सड़कों पर भी आम आदमी का निकलना सहज नहीं है। इसकी वजह यह है कि सड़कों के किनारे जो दुकानें हैं उनका सामान सड़क के बड़े हिस्से तक पसरा रहता है। पूरे भारत में जबलपुर ही एक ऐसा शहर है जहाँ मॉर्निंग में दुकान खुलने के साथ उसका सामान सड़क पर कब्जा कर रखा जाता है। इस तरह के अतिक्रमण से निकलने वालों को परेशानी हो इससे न तो दुकानदार को मतलब होता है और न ही जिम्मेदारों को इससे कोई सरोकार है। शहर की  किसी भी प्रमुख चौड़ी सड़क पर चले जाइए हर तरफ  बीच के हिस्से तक दुकानों की सामग्री पसरी देखी जा  सकती है। सालों पुरानी इस समस्या को जानता, समझता हर कोई पर नियम का पालन कराना, सड़कों को पूरी जिम्मेदारी से खाली कराकर चलने लायक बनाये रखने का जज्बा कोई जिम्मेदार आज तक नहीं दिखा सका है। 
फोरलेन भी हो गई टू-लेन जैसी 
संस्कारधानी में अनेक सड़कें फोरलेन के रूप में 60, 72, 80 और कुछ 100 फीट के दायरे में भी विकसित की गईं। इन फोरलेन सड़कों के मायने यही हैं कि दोनों हिस्से से ट्रैफिक पूरी सहजता और आसानी के साथ संचालित हो। चौराहे पर सिग्नल के िनयम का पालन हो, कम से कम 40 किलोमीटर प्रति घण्टा की रफ्तार से   फिर  वाहन आगे चल सकें, लेकिन अभी यह होता है कि फोरलेन सड़क का हिस्सा 15 से 20 फीट तक कब्जे में होता है। पीक ऑवर्स में जब वाहनों का लोड ज्यादा होता है उस समय सड़क का बड़ा हिस्सा कब्जे के बाद चलना तो दूर कई हिस्सों में तो दूर तक रेंगने लायक नहीं बच पाता है। 
शहर की छवि को पलीता लगा रहे 
बीच सड़क तक कब्जे यातायात को चौपट कर ही रहे हैं, साथ ही यह शहर की छवि को भी पलीता लगा रहे हैं। किसी और शहर से आने वाला नागरिक जबलपुर में अच्छी खासी सड़क को बीच हिस्से तक कब्जे की गिरफ्त में देखकर आश्चर्य व्यक्त करता है। लोग कहते तक हैं कि इस शहर में नगर निगम ऐसे कब्जाधारियों पर ठोस कार्रवाई क्यों नहीं करता है। आखिर ईमानदारी से टैक्स जमा कर नागरिक सेंस के साथ जीने वाले को सलीके की सड़क चलने के लिए कब मिलेगी।

Created On :   1 Feb 2021 2:58 PM IST

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