वीआईपी लोगों के घर के सामने की सड़कें भी खराब, मुख्य न्यायाधीशने बयां की पीड़ा

The roads in front of the VIP peoples house also deteriorated, the Chief Justice said the pain
वीआईपी लोगों के घर के सामने की सड़कें भी खराब, मुख्य न्यायाधीशने बयां की पीड़ा
हाईकोर्ट वीआईपी लोगों के घर के सामने की सड़कें भी खराब, मुख्य न्यायाधीशने बयां की पीड़ा

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने सड़कों के गड्ढो को लेकर कहा है कि  मुंबई में जहां पर महत्वपूर्ण लोगों के(वीआईपी) आवास बने है वहां के सड़को की स्थिति भी ठीक नहीं है। मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता ने कहा कि मैं मुंबई के आसापास के इलाकों में नहीं गया हूं। मेरा अदालत आने का एक तय रास्ता है। जहां कई वीआईपी लोगों के आवास बने है। वहां के सड़क की हालत खराब है। पिछले दो सालों में ऐसा हुआ है। इससे पहले मुंबई की सड़के कोलकाता से बेहतर थी। इसलिए मैंने शुरु में इस याचिका पर सुनवाई नहीं की थी। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि सड़क को लेकर मेरे मन में भी एक आम आदमी जैसी भावना आती है लेकिन मैं मुंबई महानगरपालिका के आयुक्त को सड़कों के गड्ढे दुरुस्त करने के लिए नहीं कह पाता हूं। मुंबई देश की सबसे वैभवशाली मनपा है। यदि उसके पास पैसे है तो वह लोगों की भलाई के लिए पैसे खर्च करे। जिससे नागरिकों को राहत मिले। 

मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि हम इस मामले में आदेश जारी कर देगे लेकिन जमीनी स्तर पर गड्ढों को भरने का काम अधिकारियों को करना पड़ेगा। मुख्य न्यायाधीश ने मामले की अगली सुनवाई के दौरान सुनवाई के दौरान राज्य के सार्वजनिक निर्माण कार्य विभाग के उच्च अधिकारी व मुंबई मनपा आयुक्त इकबाल चहल को महानगर की 20 सड़को के गड्ढों को खत्म करने को लेकर रोडमैप के साथ कोर्ट में उपस्थित रहने को कहा है। 

इससे पहले मामले की न्यायमित्र के रुप में पैरवी कर रहे अधिवक्ता जमसेद मिस्त्री ने कोर्ट के पुराने फैसले का हवाला देते हुए कहा कि लापरवाही व भ्रष्टाचार खराब सड़कों की बड़ी वजह है। इस पर मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि दुर्भाग्वश हमारे पास ऐसी कोई जादू की छड़ी नहीं है जिससे लोभ को खत्म किया जा सके। कि इसलिए हमे इसी समाज में जीना पड़ेगा। 

मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता की खंडपीठ के सामने मुंबई व राज्य के अन्य इलाकों में सड़को के गड्ढो को लेकर दायर की गई जनहित याचिकाओं पर चल रही है। कई याचिकाओं में दावा किया गया है सड़कों में मौजूद गड्ढों के चलते लोगों को अपनी जान तक गंवानी पड़ रही है। इसलिए इन गड्ढों को खत्म करने के लिए संबंधित प्राधिकरणों को निर्देश दिया जाए।

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता अधिवक्ता रुजू ठक्कर ने एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए खंडपीठ के सामने कहा कि मुंबई मनपा प्रत्येक वार्ड को हर साल सड़कों की मरम्मत के लिए दो करोड रुपए देती है।50 लाख रुपए सड़कों के गड्ढे भरने के लिए आवंटित किए जाते है। इतनी निधि आवंटित किए जाने के बावजूद नागरिकों को  खराब सड़को के कारण दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। 

इस पर खंडपीठ ने कहा कि हम सड़कों के गड्ढे भरने का आदेश दे देगे लेकिन सड़कों को गड्ढों को भरने का काम अधिकारियों को करना पड़ेगा। खंडपीठ ने कहा कि पहले मुंबई की सड़के कोलकाता से काफी बेहतर थी। लेकिन अब स्थित बदल गई है। अब तो ऐसे इलाकों में जहां विशिष्ट व्यक्तियों के घर बने है जिसमें मुख्यमंत्री के बंगले का भी समावेश है। वहां की सड़कों की स्थिति खराब है। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि वे खुद कोर्ट आते समय सड़क की खराब स्थिति का सामना करते है। खंडपीठ ने कहा कि मुंबई मनपा काफी वैभलशाली है। यदि मनपा के पास पैसे है तो वह लोगों की भलाई के लिए खर्च करे। वहीं मुंबई मनपा की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अनिल साखरे ने कहा कि मनपा ने काफी सड़कों के गड्ढे खत्म किए है और वह सड़कों को बेहतर बनाने की दिशा में काम भी कर रही है।  

 

Created On :   22 Sept 2022 10:25 PM IST

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