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दो सौ करोड़ रुपए के ब्रॉडगेज पर ट्रेनों के पहिए की रफ्तार फीकी
डिजिटल डेस्क जबलपुर। जबलपुर से गोंदिया के बीच छोटी लाइन को बड़ी लाइन में बदलने के पीछे एक बड़ी मंशा यह थी कि इस नए रूट से नागपुर और दक्षिण भारत जाने के लिए अनेक ट्रेनें मिलेंगी और काफी कम समय में दक्षिण भारत की रेल यात्रा पूरी हो सकेगी। जबलपुरवासियों के इस सपने को पूरा करने रेल प्रशासन ने बाकायदा दो सौ करोड़ रुपए की योजना तैयार कर इसे समय पर अंजाम भी दिया, मगर रेल प्रशासन इस दो सौ करोड़ के ब्रॉडगेज पर आशा के अनुरूप ट्रेनों के पहियों की रफ्तार बढ़ाने में अब भी नाकामयाब साबित हो रहा है। रेलवे अधिकारियों की लापरवाही और इस मंडल क्षेत्र में आने वाले जनप्रतिनिधियों की अनदेखी से हजारों यात्रियों के साथ ही दक्षिण भारत का कम समय में सफर करने वालों का सपना अधूरा साबित हो रहा है।
पहले बजट का रोना फिर कोरोना का ग्रहण-
जानकारों की मानें तो ब्रॉडगेज से ट्रेन के सफर की आस लगाए बैठे लोगों का मानना है कि रेल प्रशासन ने अभी इस शहर के लोगों की भावनाओं के अनुरूप अभी तक कोई भी सारगर्भित पहल नहीं की है। करीब 15 साल पूर्व प्रारंभ हुए इस गेज परिवर्तन के कार्य के लिए प्रारंभ में राशि(बजट) का रोना था, करीब दो सौ करोड़ रुपए की इस परियोजना के पूर्ण होते ही इस पर कोरोना का ग्रहण लग गया। जिसके चलते फिलहाल जबलपुर से कोई नियमित गाड़ी प्रारंभ नहीं हो सकी है।
रुचि नहीं तो जाम हुए चांदा फोर्ट के पहिए-
बताया जाता है कि प्रारंभ के दिनों में चांदा फोर्ड के लिए रेल प्रशासन ने एक कुर्सी ट्रेन शुरू भी की थी जो सुबह 5 बजे जबलपुर से प्रारंभ होती थी, मगर कुर्सी बैठक होने के कारण लोगों ने इस ट्रेन में रुचि नहीं दिखाई तो कुछ महीनों में ही इसके सफर को पूरी तरह से बंद कर दिया गया। इसके बाद लोगों को उम्मीद थी कि इस ट्रेन पर गढ़ा रेलवे स्टेशन बनने के बाद गढ़ा से होते हुए बरगी, नैनपुर बालाघाट, गोंदिया मार्ग से उन्हें नागपुर के लिए जनशताब्दी की तरह सुलभ यात्रा मिलेगी, लेकिन यह सफर भी फिलहाल कागजों पर ही है। नतीजतन इस नए रूट पर मालगाडिय़ों का संचालन किया जा रहा है।
फैक्ट फाइल-
- इस मार्ग पर केवल रीवा से इतवारी की ट्रेन सप्ताह में 3 दिन चल रही है।
- इसके अलावा पटना से मद्रास जाने वाली एक यात्री गाड़ी का संचालन हो रहा है।
- जबकि जबलपुर स्टेशन से एक भी गाड़ी का संचालन नही हो पा रहा है।
- ब्रॉडगेज से साउथ की सफर की दूरी 250 किमी तक हो सकती है कम।
- इसके अलावा नागपुर की दूरी में भी आएगा 175 किमी का अंतर।
इस रूट पर ट्रेनों का संचालन एसईसीआर की अनुमति पर ही निर्भर है।
-राहुल जयुपरियार, सीपीआरओ
Created On :   9 Nov 2021 9:47 PM IST