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बुजुर्गों के लिए सख्त कानून है, फिर भी न देखभाल, न मिल रहा उपचार

डिजिटल डेस्क जबलपुर । सड़कों और सार्वजनिक स्थलों पर दयनीय स्थिति में रहने वाले बुजुर्गों के भोजन, रहवास तथा चिकित्सा से संबंधित पत्र पर जनहित याचिका के रूप में सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने गंभीरता दिखाई है। चीफ जस्टिस एके मित्तल और जस्टिस व्हीके शुक्ला की युगलपीठ ने शुक्रवार को अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के निर्देश दिये हैं। युगलपीठ ने मामले की अगली सुनवाई 28 अप्रैल को निर्धारित की है।
हैदराबाद निवासी अधिवक्ता आर. भास्कर की ओर से भेजे गए पत्र में कहा गया है कि माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण तथा कल्याण अधिनियम 2007 में पारित हुआ था। जो मध्य प्रदेश में अगस्त 2008 से लागू किया गया। पत्र में कहा गया है कि कई बेटे व बेटियों द्वारा अपने वृद्ध माता-पिता को अच्छा भोजन, रहवास तथा चिकित्सा सुविधा उपलब्ध नहीं करायी जाती। चिकित्सा सुविधा नहीं मिलने से उनकी बीमारी से असमय मौत हो जाती है। शुक्रवार को हुई प्रारंभिक सुनवाई के पश्चात न्यायालय ने प्रदेश के मुख्य सचिव और आयुक्त सामान्य न्याय विभाग को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के निर्देश दिये हैं।
सही देखरेख नहीं, इसलिए आत्महत्या
बुजुर्ग व्यक्तियों द्वारा आत्महत्या किये जाने की घटनाओं में भी लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है, जिसका मुख्य कारण उनकी वृद्धावस्था में देखरेख नहीं होना है। पत्र याचिका में राहत चाही गई है कि प्रदेश के हर जिले में ओल्ड होम स्थापित किये जाएँ, जहाँ बुजुर्गों की बेहतर देखभाल की जाए।
Created On :   29 Feb 2020 2:08 PM IST