प्रशासक राज में ऑक्सीजन टैक्स वसूली के आदेश की चारों ओर हो रही भारी निंदा

There is heavy condemnation around the order of oxygen tax collection in the Administrator Raj
प्रशासक राज में ऑक्सीजन टैक्स वसूली के आदेश की चारों ओर हो रही भारी निंदा
प्रशासक राज में ऑक्सीजन टैक्स वसूली के आदेश की चारों ओर हो रही भारी निंदा

नगर निगम के ऑक्सीजन टैक्स को लोगों ने तुगलकी आदेश कहा और पूछा कि शहर के लिए ऐसा क्या किया, जो मॉर्निंग वॉकर्स से शुल्क लेने की जरूरत पड़ गई
डिजिटल डेस्क जबलपुर ।
नगर निगम ने मॉर्निंग वॉकर्स से जो ऑक्सीजन टैक्स लेने का आदेश जारी किया है, उसे तुगलकी बताते हुए पूरे शहर में निंदा की जा रही है। इसकी पर्याप्त वजह भी हैं, क्योंकि प्रदेश में जबलपुर से बड़े शहर हों या समकक्ष अथवा छोटे, कहीं भी कोई शुल्क प्रात: भ्रमण करने वालों से नहीं लिया जाता। भास्कर टीम ने इंदौर, भोपाल, ग्वालियर के अलावा उज्जैन, सागर, छिन्दवाड़ा, सतना, छतरपुर, सिंगरौली  जैसे छोटे शहरों में भी पाया कि वहाँ भी बेहतरीन पार्क हैं, पर वो सुबह भ्रमण पर आने वालों से ऐसा कोई शुल्क नहीं लेते हैं, बल्कि ऐसे लोगों को तरह-तरह के रैली, क्रॉस कंट्री, साइक्लोथॉन जैसे नि:शुल्क कार्यक्रम आयोजित कर प्रेरित करते हैं, ताकि वो रोज सुबह अपने स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए प्रयास करते रहें, पर नगर निगम जबलपुर ने हद कर दी और बिना सोचे-विचारे आदेश जारी कर दिया।
नगर निगम निशाने पर -  जबलपुर में ऑक्सीजन टैक्स लेने के निर्णय पर वो लोग जो इस विचारधारा के हैं कि जब सरकार रोड टैक्स लेती है तो टोल टैक्स क्यों लेना चाहिए, का  मानना है कि उद्यानों में सुबह भ्रमण पर आने वालों से शुल्क लेना कुदरत द्वारा मुफ्त में उपलब्ध कराई गई ऑक्सीजन को बेच देने जैसे अपराध की श्रेणी में आता है। ऐसा निर्णय लेने वालों पर कार्रवाई करना चाहिए। प्रश्न उठ रहा है कि आखिर सरकारें और नगर निगम जैसी संस्थाएँ जब पहले से इतनी तरह के टैक्स ले रहीं हैं तो उसके एवज में क्या सुबह स्वास्थ्यवर्धक उद्यानों में नि:शुल्क सेवा तक नहीं दे सकतीं? इस मुद्दे पर भारी बहस छिड़ी हुई है, जिसका परिणाम चाहे जो निकले पर फिलहाल तो नगर निगम निशाने पर है। 
किसका है ये निर्णय
ऑक्सीजन टैक्स लेने का निर्णय किसने लिया? ये भी बहस का बड़ा मुद्दा है। चाहे उद्यान हों या स्टेडियम, हर जगह लोग जानना चाहते हैं कि अगर नगर निगम पर प्रशासक राज है तो क्या अधिकारी इतने निरंकुश हो जाएँगे कि वो मॉर्निंग वॉकर्स से शुल्क लेने का फरमान जारी कर देंगे। क्या इन अधिकारियों ने कभी सोचा नहीं कि सम्पत्ति कर, सफाई कर, जल कर जैसे तमाम टैक्स क्या इसलिए वसूले जाते हैं कि नागरिकों को मूलभूत सुविधाएँ भी नहीं दी जाएँगी। अगर ऐसा है तो शहर की भीतरी सड़कों पर चलने वालों से भी टोल टैक्स लेने लग जाना चाहिए और तमाम तरह के इन करों के संग्रहण के बाद इनके एवज में जनहित में कोई कार्य भी नहीं किए जाने चाहिए, बल्कि इस राशि का उपयोग अफसरों और जब जनप्रतिनिधियों का राज आ जाए तो उनके लिए सुख-सुविधाएँ उपलब्ध कराने में किया जाना चाहिए।  
 

Created On :   31 Dec 2020 2:10 PM IST

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