मुसीबतें अनकंट्रोल - कोई माँग रहा रोटी तो कोई रोजगार, रोज हजार शिकायतें, एक पर भी सुनवाई नहीं

There is no demand for bread, no employment, thousands of complaints every day, no hearing
मुसीबतें अनकंट्रोल - कोई माँग रहा रोटी तो कोई रोजगार, रोज हजार शिकायतें, एक पर भी सुनवाई नहीं
मुसीबतें अनकंट्रोल - कोई माँग रहा रोटी तो कोई रोजगार, रोज हजार शिकायतें, एक पर भी सुनवाई नहीं

कोविड कमांड एण्ड कंट्रोल सेंटर में बेड-ऑक्सीजन के लिए कम, काम-काज के लिए ज्यादा आ रहे कॉल
** दो बच्चों के पिता विजय धुर्वे की लॉकडाउन से रोजी छिन गई। रसाई में रखा अनाज रोज घटता गया और पूरी रसद हफ्ते भर पहले खत्म हो गई। विजय ने आँगनबाड़ी से मिला दलिया अपने बच्चों को उबाल कर तीन दिनों तक खिलाया, वह वक्त आया जब घर में एक दाना भी नहीं बचा। गनीमत रही कि रेडक्रॉस ने किसी तरह से मदद पहुँचाई। 
** रांझी निवासी नारायण (लल्लू) पेशे से इलेक्ट्रिशियन है। बाजार बंद हुए तो काम धंधा ठप पड़ गया। घर में भुखमरी की नौबत आ गई। उम्रदराज माँ को वृद्धावस्था पेंशन आती थी लेकिन लॉकडान में घर के बाहर निकलना मुश्किल हो गया। कुछ दिन जैसे-तैसे कटे लेकिन माँ व बेटा दोनों का शरीर दिनों दिन कमजोर पड़ता गया। किल्लत भरी जिंदगी में एक दिन माँ के प्राण निकल गए। 
** रसल चौक की गैरेज में काम करने वाले रफीक पर पूरे परिवार की जिम्मेदारी है। काम बंद होने के कारण एक-एक रोटी के लाले हैं। परिवार पालने के लिए रफीक दो दिन पहले मजदूरी के लिए घर से निकला, लेकिन पुलिस ने बीच रास्ते में ही पकड़कर हिदायत दी। वापस लौटा तो घर पर वही समस्याएँ मिलीं।
डिजिटल डेस्क जबलपुर ।
जिस संकट से विजय व नारायण हलाकान हैं वही परेशानी रफीक जैसे हजारों लाखों युवाओं की है, जो हर रोज कमाते और हर रोज गुजर बसर करते हैं। ऐसा भी नहीं कि इन जैसे बेरोजगारों ने प्रशासन से मदद न माँगी हो। लेकिन शासन के पास सीधे तौर पर ऐसा कोई प्रावधान नहीं है जिससे रोजी-रोटी की समस्या का समाधान निकाला जा सके। कोविड कमांड एण्ड कंट्रोल सेंटर में पहुँचने वाले हजारों कॉल्स में अब न बेड माँगे जा रहे, न ही ऑक्सीजन, डिमांड अब सिर्फ और सिर्फ काम धंधे की है।संक्रमण की रोकथाम और मरीजों को तत्कालिक सहायता पहुँचाने के लिए बनाए गए कमांड एण्ड कंट्रोल सेंटर की वर्किंग बदल गई है। दिन में आने वाले फोन में कई लोग रोजी-रोटी के संकट को लेकर सवाल खड़े कर रहे हैं तो कई आर्थिक तंगी से हलाकान होकर मदद की आस लगा रहे हैं। अब दोगुने से ज्यादा  कंट्रोल रूम में तकरीबन 15 दिनों पहले तक अमूमन 1500 से 2000 शिकायतें आती थीं, लेकिन अब शिकायतों की तासीर और संख्या बदल गई है। तीन शिफ्टों में कंट्रोल रूम की वर्किंग है और हर शिफ्ट में इस तरह के 1500 कॉल्स आ रहे हैं। 
कमाल का सिस्टम है..जहाँ सिर्फ फॉर्मेलिटी..! 
* कंट्रोल एण्ड कमांड सेंटर में सबसे पहले कॉल्स को लेकर समस्या नोट की जाती है। नागरिकों की परेशानी जिस सेक्टर से जुड़ी होती है उसे उस जोन के अधिकारी को ट्रांसफर कर दी जाती है। मसलन, सेनिटाइजेशन के लिए संभागीय अधिकारी, जोन प्रभारी, राशन कार्ड से जुड़ी है तो फूड ऑफिसर, ऑक्सीजन और बेड संबंधी होने पर तहसीलदार को।  
* खास बात यह है कि रोजी-रोटी और आर्थिक तंगी से जूझने वालों की परेशानियाँ तो बाकायदा नोट की जा रही हैं लेकिन कंट्रोल के लिए यह बड़ी दुविधा है कि ऐसी समस्याओं को किसके पास ट्रांसफर किया जाए। नतीजतन, इस तरह की शिकायतों से रजिस्टर और कम्प्यूटर की मेमोरी फुल हो रही है लेकिन परेशानियों का  कोई समाधान मिल नहीं पा रहा है। 
कॉल्स ऐसे-ऐसे 
* घर का राशन पूरी तरह से खत्म हो चुका है, न तो पात्रता पर्ची है और न ही राशन कार्ड। 
* दो भाई मिलकर घर चलाते हैं काम धंधा बंद होने की वजह से पाई-पाई को मोहताज होना पड़ रहा। 
* दुकान न खुलने से काम पर नहीं जा पा रहे हैं, कुछ घंटों की छूट दिलवाएँ ताकि गुजर बसर हो सके।
* घर का बिजली बिल चुकाने के लिए तक पैसे नहीं बचे हैं, बिल में छूट दिलवा दीजिए। 
* बुजुर्ग माता-पिता के लिए दवाइयाँ कहाँ से खरीदें, पैसे बचे नहीं, कोई मदद मिल सकती है। 
* घर पर किराना खत्म हो गया है और पैसे भी नहीं बचे, किसी तरह से हेल्प दिलवा दीजिए। 
* पूरे बाजार व रोजगार के साधन बंद हैं, ऐसे में कहीं भी कोई काम दिलावा दें, ताकि घर चल सके।
 

Created On :   15 May 2021 8:52 AM GMT

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