अनाथ शब्द से कोई सामाजिक कलंक नहीं जुड़ा इसलिए इसमें बदलाव की जरुरत नहीं

There is no social stigma attached to the word orphan, so there is no need to change it - HC
अनाथ शब्द से कोई सामाजिक कलंक नहीं जुड़ा इसलिए इसमें बदलाव की जरुरत नहीं
हाईकोर्ट अनाथ शब्द से कोई सामाजिक कलंक नहीं जुड़ा इसलिए इसमें बदलाव की जरुरत नहीं

डिजिटल डेस्क, मुंबई। अनाथ शब्द से कोई सामाजिक कलंक अथवा धब्बा नहीं जुड़ा है इसलिए इसमें कोई बदलाव करने की जरुरत नहीं है। गुरुवार को बांबे हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका को खारिज करते हुए उपरोक्त बात कहीं। याचिका में मांग की गई थी कि अनाथ के स्थान पर माता-पिता विहीन बच्चों के लिए स्वनाथ शब्द का इस्तेमाल करने का निर्देश दिया जाए। गुरुवार को मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता व न्यायमूर्ति माधव जामदार की खंडपीठ के सामने यह याचिका सुनवाई के लिए आयी। इस मुद्दे को लेकर स्वनाथ नामक गैर सरकारी संस्था ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी। याचिका में दावा किया गया था कि जिन बच्चों ने अपने माता-पिता को खो दिया है वे पहले से काफी असहज स्थिति का सामना करते है। याचिका के अनुसार अनाथ शब्द एक ऐसे बच्चे की परिस्थिति को दर्शाता है जो वंचित, मजबूर, लाचार व जरुरतमंद है। जबकि स्वनाथ शब्द आत्मनिर्भर व आत्मविश्वास से भरे बच्चे का बोध कराता है। इसलिए माता-पिता विहीन बच्चों के लिए अनाथ की बजाय स्वनाथ शब्द का इस्तेमाल करने के लिए कहा जाए। 

याचिका पर गौर करने के बाद खंडपीठ ने कहा कि यह ऐसा मामला है जिसमें अदालत का हस्तक्षेप अपेक्षित नहीं है। कभी-कभी हमे भी अपनी लक्ष्मण रेखा तय करनी चाहिए कि हमे किस मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए और किस मामल में नहीं। खंडपीठ ने कहा कि अनाथ शब्द का इस्तेमाल कई युगों से चला आ रहा है। हम इस बात से सहमत नहीं है कि माता-पिता विहीन बच्चों के लिए अनाथ शब्द का इस्तेमाल  सामाजिक कलंक अथवा धब्बे को दर्शाता है। इस शब्द में बदलाव करने की बिल्कुल भी जरुरत नहीं है। आखिर अनाथ शब्द के साथ कौन से कलंक अथवा धब्बा जुड़ा है। हिंदी,मराठी यहां तक की बंगाली भाषा में भी अनाथ शब्द शब्द का इस्तेमाल होता है। अग्रेजी में अनाथ के लिए आर्फन शब्द का प्रयोग होता है। आखिर याचिकाकर्ता कौन होता है कि जो कहे कि अनाथ शब्द में बदलाव किया जाए। चूंकि याचिकाकर्ता की संस्था का नाम स्वनाथ है क्या इसलिए वह अनाथ शब्द में बदलाव चाहता है। याचिकाकर्ता को भाषा संबंधी कौन सी जानकारी है। इस पर याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी कर रहे वकील उदय वारुंजेकर ने कहा कि उनका कहना सिर्फ इतना है कि बेसहारा बच्चों के लिए बेहतर शब्द का इस्तेमाल हो। किंतु खंडपीठ ने याचिका पर विचार करने से इनकार करते हुए उसे खारिज कर दिया।

 

Created On :   15 Sept 2022 8:15 PM IST

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