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चव्हाण बोले- समर्थन का फैसला लेने में कांग्रेस की तरफ से नहीं हुई देरी, उद्धव का तंज हमें दिया 6 माह का वक्त
डिजिटल डेस्क, मुंबई। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने इस बात से इंकार किया है कि राज्य में सरकार गठन के लिए शिवसेना को समर्थन देने का फैसले लेने में कांग्रेस की तरफ से देरी की गई। यह पूछे जाने पर किया क्या सरकार बनाने के लिए कांग्रेस शिवसेना को समर्थन देने पर सहमत हुई थी? जवाब में चव्हाण ने कहा कि अगर ऐसा नहीं होता तो उनकी पार्टी ने सोमवार को दिल्ली में इतनी लंबी चर्चाए नहीं की होतीं। महाराष्ट्र में गैर-भाजपाई सरकार बनाने के शिवसेना के प्रयासों को सोमवार को झटका लगा था जब कांग्रेस ने अंतिम क्षण में कहा कि वह उद्धव ठाकरे कि पार्टी को समर्थन देने के विषय पर अपनी सहयोगी राकांपा से कुछ और चर्चाएं करना चाहती है। चव्हाण ने कहा कि “शिवसेना एनडीए की सहयोगी थी और इसको हमारा समर्थन देने का सवाल नहीं था। उन्होंने कहा कि यह सही बात नहीं है कि कांग्रेस ने फैसले में देरी की। उन्होंने कहा कि मुझे नहीं लगता कि यह मुद्दा आज सुलझेगा। राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पूर्व केंद्रीय मत्री सुशील कुमार शिंदे ने कहा कि अगर राष्ट्रपति शासन लागू भी होता है तो भी इसे हटाया जा सकता है। उन्होंने कहा किसजब दलों के पास पर्याप्त संख्या बल हो तो वे कभी भी सरकार बनाने का दावा कर सकते हैं।
सरकार बनाने राज्यपाल ने हमें दे दिया 6 माह का समयःउद्धव
उधर अधिक समय नहीं देने से नाराज शिवसेना पक्ष प्रमुख उद्धव ठाकरे ने राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी पर तंज कसा है। मंगलवार को पत्रकारों से बातचीत में उद्धव ने कहा कि हमने राज्यपाल से विधायकों के समर्थन की चिट्टी देने के लिए 2 दिन का समय मांगा था। लेकिन राज्यपाल बड़े दयावान निकले। राज्यपाल ने हमें सरकार बनाने के लिए 6 महीने का समय दे दिया है। उद्धव ने कहा कि हमने राष्ट्रपति शासन लागू करने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल नहीं की है क्योंकि बड़े अरसे बाद महाराष्ट्र को इतने दयावान राज्यपाल मिले हैं। जिन्होंने हमें कहा कि 48 घंटे का समय कम पड़ेगा और सरकार बनाने के लिए 6 महीने का समय दे दिया। जिस प्रदेश को ऐसे राज्यपाल मिलेंगे उस प्रदेश का निश्चित रूप से भला होगा। हमें 6 महीने का समय मिला है। इस दौरान तीनों दल न्यूनतम साझा कार्यक्रम बनाकर सरकार बनाने का दावा पेश करेंगे। उद्धव ने कहा कि महाराष्ट्र में सरकार बनाना मजाक की बात नहीं है। खासतौर पर जब विभिन्न विचार धारा वाले दल एक साथ में आ रहे हो। इसलिए हम विभिन्न बिन्दुओं पर चर्चा के लिए थोड़ा राज्यपाल से समय मांगा रहे थे। उद्धव ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में भाजपा और पीडीपी, बिहार में भाजपा और जेडीयू, भाजपा और एलजेपी, आंध्रप्रदेश में भाजपा और टीडीपी के विचार धारा का मिलाप कौन से संगम पर हुआ है। मैंने इसकी जानकारी मंगाई है। यह सभी जानकारी जुटाने के बाद अलग-अलग विचारधारा वाली शिवसेना, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस को एक साथ कैसे आना है हम मिलकर तय कर लेंगे। उद्धव ने कहा कि प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष चंद्रकांत पाटील ने हमें राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस पार्टी के साथ मिलकर सरकार बनाने के लिए शुभकामनाएं दी है। पाटील ने हमें मित्र नहीं माना है लेकिन हम उन्हें अब भी मित्र मानते हैं। उनकी दिखाई गई दिशा की ओर न जाना दोस्ती पर कंलक होगा। उद्धव ने कहा कि मैंने पहली बार 11 नवंबर को कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के शीर्ष नेतृत्व से चर्चा की। मैंने कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से सरकार बनाने के लिए समर्थन देने का आग्रह किया। मैंने सोनिया से कहा कि हमें एक नई शुरुआत करनी हैं। हमारे साथ कांग्रेस आ सकती है क्या। इसके बाद सोनिया ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं को मुंबई भेजा। उद्धव ने स्पष्ट किया कि सरकार बनाने के लिए अब वे भाजपा के साथ फिर से नहीं जाएंगे। हालांकि उद्धव ने यह औपचारिक घोषणा नहीं की कि भाजपा और शिवसेना की युति टूट गई है। इस सवाल का सीधा जवाब देने से बचते रहे
अपने विधायकों में जोश भरने पहुंचे उद्धव
प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद शिवसेना पक्ष प्रमुख उद्धव ठाकरे ने पार्टी के विधायकों के साथ बैठक की। मंगलवार को उद्धव मालाड के द रिट्रीट होटल में शिवसेना के विधायकों से मिले। सूत्रों के अनुसार उद्धव ने शिवसेना के विधायकों को विश्वास दिलाया कि प्रदेश में हमारी सरकार बनेगी। मुख्यमंत्री शिवसेना का ही होगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश में राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू हो गया है पर हमें डरने की जरूरत नहीं है। उद्धव जब होटल में पहुंचे तो शिवसेना के विधायकों ने नारा लगाते हुए उनका जोरदार स्वागत किया।
Created On :   12 Nov 2019 8:37 PM IST