तृतीयपंथियों के लिए आवेदनपत्र में तीसरा विकल्प उपलब्ध कराने के मामले में राज्य सरकार ने में दायर की याचिका

Third option in the application form for third genders, state government filed a petition in HC
तृतीयपंथियों के लिए आवेदनपत्र में तीसरा विकल्प उपलब्ध कराने के मामले में राज्य सरकार ने में दायर की याचिका
हाईकोर्ट तृतीयपंथियों के लिए आवेदनपत्र में तीसरा विकल्प उपलब्ध कराने के मामले में राज्य सरकार ने में दायर की याचिका

डिजिटल डेस्क, मुंबई।  पुलिस महकमे में भर्ती के लिए आवेदनपत्र में जेंडर के तौर पर तृतीयपंथी (ट्रांसजेंडर) का विकल्प उपलब्ध कराने को लेकर महाराष्ट्र प्रशासकीय न्यायाधिकरण(मैट) की ओर से दिए गए निर्देश के खिलाफ राज्य सरकार ने बांबे हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। हाईकोर्ट ने 30 नवंबर 2022 को इस याचिका पर सुनवाई रखी है। सोमवार को अतिरिक्त सरकारी वकील रीना सांलुखे ने मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता व न्यायमूर्ति अभय अहूजा की खंडपीठ के सामने याचिका का उल्लेख किया। इस दौरान उन्होंने खंडपीठ से इस याचिका पर तत्काल सुनवाई का आग्रह किया। इसके साथ ही मैट के आदेश पर रोक लगाने की मांग की। किंतु खंडपीठ ने कहा कि हम 30 नवंबर को इस याचिका पर सुनवाई करेंगे। 

दरअसल तृतीयपंथी अर्या पुजारी ने मैट में आवेदन दायर कर पुलिस कांस्टेबल पद पर आवेदन के लिए तृतीयपंथी का विकल्प उपलब्ध कराने का निर्देश देने की मांग की थी। आवेदन में कहा गया था कि अभी सिर्फ आवेदन के लिए स्त्री व पुरुष जेंडर की श्रेणी रखी गई है। आनलाइन आवेदन के लिए तृतीयपंथी की तीसरी श्रेणी नहीं बनाई गई है। मैट ने इस आवेदन पर पर सुनवाई के बाद 14 नवंबर 2022 को राज्य सरकार के गृह विभाग को पुलिस विभाग में भर्ती के लिए जेंडर(लिंग) की श्रेणी में तृतीयपंथी का विकल्प उपलब्ध कराने का निर्देश दिया था। इसके साथ ही मैट ने गृहविभाग को तृतीयपंथियों के लिए शारिरीक मापदंड भी तय करने को कहा था।

मैट के इस आदेश को राज्य सरकार ने याचिका दायर कर हाईकोर्ट में चुनौती दी है। याचिका में राज्य सरकार ने कहा है कि उसके लिए मैट के आदेश को लागू करना बेहद मुश्किल है। क्योंकि राज्य सरकार ने अब तक तृतीयपंथियों की नियुक्ति को लेकर कोई नीति नहीं तय की है। इसके साथ ही इस विषय पर कोई विशेष प्रावधान भी नहीं किया गया है। पुलिस विभाग में भर्ती के लिए आवेदन की आखरी तारीख 30 नवंबर 2022 है किंतु मैट ने तृतीयपंथियों के लिए इसे बढा कर 8 दिसंबर 2022 कर दिया है। याचिका में मैट के आदेश को अवैध व कानून के विपरीत बताया गया है। इसके साथ ही इसे रद्द करने की मांग की गई है। 

 

Created On :   28 Nov 2022 9:53 PM IST

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