पेंच पार्क में हैंडपंप चलाकर बुझा रहे वन्यप्राणियों की प्यास- नदी-नाले, तालाब सूखे

Thirst for wild animals Quenching with handpumps in Pench Park
पेंच पार्क में हैंडपंप चलाकर बुझा रहे वन्यप्राणियों की प्यास- नदी-नाले, तालाब सूखे
पेंच पार्क में हैंडपंप चलाकर बुझा रहे वन्यप्राणियों की प्यास- नदी-नाले, तालाब सूखे

डिजिटल डेस्क,  छिंदवाड़ा/सिवनी। अद्भुत प्राकृतिक सौंदर्य और लगभग 75 बाघों के साम्राज्य वाले पेंच नेशनल पार्क के लाखों वन्यजीवों की प्यास बुझाने इन दिनों कृत्रिम स्त्रोतों का सहारा लेने की मजबूरी है। पेंच टाइगर रिजर्व का अमला हैंडपंप चलाकर वन्यप्राणियों की प्यास बुझा रहा है। दरअसल यहां मौजूद प्राकृतिक जल स्त्रोत यानी नदी-नाले सूख गए हैं। वन्यप्राणियों को पानी उपलब्ध कराने बनाए गए 60 तालाबों में से लगभग आधे सूख गए हैं, जबकि अधिकांश में पानी कम बचा है। खासबात यह कि पेंच पार्क के भीतर मौजूद 1017 मिलियन क्यूबिक मीटर जल संग्रहण क्षमता वाला तोतलाडोह बांध भी साथ नहीं दे पा रहा है। उक्त बांध में महज 120 एमसीएम पानी बचा है। 

40 हैंडपंप हैं पेंच पार्क में 
पेंच पार्क में लगभग 40 हैंडपंप लगाए गए हैं। हैंडपंप के साथ ही टांके भी बनाए गए हैं। जंगल के भीतर बने कैंपों में तैनात कर्मचारी हैंडपंप चलाकर   टांकों को भर रहे हैं। ताकि वन्यप्राणी यहां आकर अपनी प्यास बुझा सकें। इसके अलावा करीब 20 सोलर पंप भी बनाए गए हैं, जो दिनभर पानी दे रहे हैं। सोलर पंपों का पानी भी छोटे-छोटे बंड बनाकर इकट्ठा किया जा रहा है। 

तीन टैंकर भी दौड़ा रहे 
वन्यप्राणियों की प्यास बुझाने पेंच के जंगल में तीन टैंकर भी दौड़ रहे हैं।  अधिकारियों के मुताबिक जिन तालाबों में पानी सूख गया है वहां टैंकरों के जरिए पानी परिवहन किया जा रहा है। पेंच पार्क में मौजूद 60 में से आधे तालाबों के सूखने व पानी कम होने की स्थिति है। इसके अलावा अन्य कृत्रिम कुंडों को भी टैंकर से भरा जा रहा है।

पानी की कमी का खामियाजा 
- पानी की कमी के चलते वन्यप्राणी पेंच पार्क की सीमा लांघ रहे हैं। पार्क से लगी छिंदवाड़ा सीमा के गांवों में अब तक चार हिरण शिकार बन चुके हैं। 
- मई-जून में वन्यप्राणियों के पार्क की सीमा लांघने की स्थिति और बढ़ सकती है। पिछले वर्षों में ऐसा होता आया है। 
- तोतलाडोह डेम में पानी घटने के साथ ही उससे जुड़ी केनाल, नदी-नाले भी सूख गए हैं। ऐसे में तोतलाडोह भी वन्यप्राणियों को अपेक्षित आश्रय नहीं दे पा रहा है। 

हजारों वर्ग किमी में फैला पार्क, कृत्रिम उपाए नाकाफी 
पेंच नेशनल पार्क कुल 1179.632 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। इसमें कोर एरिया 411.330 वर्ग किलोमीटर है। वहीं बफर एरिया 768.302 वर्ग किलोमीटर है। जानकारों के मुताबिक नदी-नालों के सूखने की स्थिति में कृत्रिम जल स्त्रोतों के साथ किए जा रहे पेयजल उपलब्ध कराने के प्रयास नाकाफी साबित हो रहे हैं। 

पेंच पार्क  में वन्यप्राणियों की स्थिति 
पेंच नेशनल पार्क में पिछली गणना में 53 बाघ दर्ज किए गए थे। इस बार की गणना रिपोर्ट देहरादून से आना शेष है। बाघों की संख्या बढ़कर 75 के करीब बताई जा रही है। सबसे ज्यादा चीतल 65 हजार से अधिक हैं। जिन्हें चारा-पानी की समस्या के चलते दूसरे स्थानों पर शिफ्ट किया जा रहा है। इसके अलावा तेंदुआ, सांभर, हिरण, नीलगाय, जंगली सुअर, भेड़िया, जंगली कुत्ता, चार सिंगा एंटीलोप, जंगली बिल्ली और लोमड़ी समेत अन्य प्राणियों की संख्या लाखों में है। 200 से अधिक पक्षी भी यहां मौजूद हैं। 

हर दिन चेक करते हैं जलस्त्रोत 
कुछ तालाब सूख गए हैं, कुछ में पानी कम है। वन्यप्राणियों को पानी उपलब्ध कराने हैंडपंप और सोलर पंप लगाए गए हैं। हैंडपंपों के साथ पानी स्टोर करने टांके बनाए गए हैं। हर दिन जल स्त्रोत चेक किए जा रहे हैं। फिलहाल पानी की कमी नहीं हैं। 
(केके गुरवानी, डिप्टी डायरेक्टर, पेंच नेशनल पार्क) 

Created On :   3 May 2018 1:49 PM IST

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