सुप्रीम कोर्ट में टिक पाएंगे ये विधेयक, विधायक जता रहे आशंका 

This bill will be able to survive in the Supreme Court, MLAs are expressing apprehension
सुप्रीम कोर्ट में टिक पाएंगे ये विधेयक, विधायक जता रहे आशंका 
उठ रहे सवाल सुप्रीम कोर्ट में टिक पाएंगे ये विधेयक, विधायक जता रहे आशंका 

डिजिटल डेस्क, मुंबई। मनपा और जिला परिषद समेत सभी स्थानीय निकायों के प्रभाग रचना और वार्ड की सीमा तय करने का अधिकार राज्य सरकार को देने संबंधी दोनों विधेयक विधान परिषद में भी सर्वसम्मति से पारित हो गया। सदन में प्रदेश के खाद्य व नागरिक आपूर्ति मंत्री छगन भुजबल ने दोनों विधेयक को पेश किया। जिसे बिना चर्चा के पारित करा लिया गया। अब इन दोनों विधेयकों के पारित होने से समझा जा रहा है स्थानीय निकाय चुनाव 6 से 7 महिने के लिए टल गए हैं। पर राज्य चुनाव आयोग के अधिकारों में कमी करने वाले इन विधेयकों को लेकर विधायक आशंका जता रहे हैं। विपक्षी दलों के विधायकों की आशंका है कि इन दोनों विधेयकों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती मिलने की आशंका है और इस बात का काफी संभावना है कि सुप्रीम कोर्ट में ये विधेयक टीक नहीं सकेंगे।  

सोमवार को दोनों विधेयक मंजूर होने के बाद भाजपा समर्थित सदस्य विनायक मेटे ने दोनों विधेयकों के सुप्रीम कोर्ट में टिकने को लेकर आशंका व्यक्त की। मेटे ने कहा कि प्रदेश सरकार ने राज्य चुनाव आयोग के अधिकार को अपने पास ले लिया है। लेकिन मूल सवाल है कि सरकार को चुनाव आयोग के अधिकार को अपने पास लेने का अधिकार है अथवा नहीं। इस पर सभापति रामराजे नाईक-निंबालकर ने मेटे से कहा कि हर बार आप वातावरण बिगाड़ने का प्रयास करते हैं। सरकार को राज्य चुनाव आयोग का अधिकार अपने पास लेने का अधिकार है। यदि आपको यह विधेयक सही नहीं लग रहा है तो आप सुप्रीम कोर्ट में जाकर चुनौती दे सकते हैं। जिसके बाद मेटे ने कहा कि मेरा व्यक्तिगत रूप से विधेयक पर विरोध नहीं है। मैंने केवल आशंका व्यक्त की है। इसके बाद उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने कहा कि सदन में विधेयक मंजूर हो गया है। इसलिए इस पर अधिक चर्चा नहीं होनी चाहिए। यदि मेटे को कोई सुझाव देना है तो वह विधान परिषद की लॉबी में आकर मुझसे और मंत्री भुजबल से चर्चा कर सकते हैं। सरकार सुप्रीम कोर्ट में विधेयक को टिकाने के लिए सरकार उचित कदम उठाएगी। 

उपमुख्यमंत्री ने कहा कि सदन में सभी सदस्यों को लगता है कि ओबीसी समाज को प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए। लेकिन जिन लोगों को लगता होगा कि ओबीसी आरक्षण कायम नहीं रहना चाहिए, ऐसे लोग जानकारी लेकर अदालत में जाते हैं। इसलिए विधेयक मंजूर होने के बाद उस पर चर्चा करना उचित नहीं है। इससे पहले सदन में विपक्ष के नेता प्रवीण दरेकर और भाजपा चंद्रशेखर बावनकुले ने कहा कि दोनों विधेयक सुप्रीम कोर्ट में टिकाने के लिए सरकार को हर संभव कोशिश करना चाहिए। पूर्व मंत्री व भाजपा विधायक गिरीश महाजन ने कहा कि राज्य सरकार की लापरवाही से ओबीसी का आरक्षण खत्म हुआ है। इस विधेयक को हमारा समर्थन हैं पर यह देखना होगा कि यह कितना कारगर होता है। दरअसल राज्य सरकार यह सब कर अपनी नाकामी पर पर्दा डालना चाहती है। 

ओबीसी नेता व राज्य के खाद्य आपूर्ति मंत्री छगन भुजबल ने यहीं सवाल पूछे जाने पर कहा कि मध्य प्रदेश सरकार ने भी ऐसा विधेयय लाई है। इस विधेयक से राज्य चुनाव आयोग के अधिकारों में कटौती नहीं की गई है। 

चुनाव में देरी से किसका लाभ 

विपक्षी विधायक इस विधेयक का विरोध नहीं कर पा रहे हैं पर उन्हें लगता है कि मुंबई सहित राज्य की 14 महानगरपालिकाओ, नगर पंचायतों व जिला परिषदों के चुनाव में देरी से विपक्षी दल को नुकसान होगा। भाजपा विधायकों का मानना है कि अभी मुंबई मनपा चुनाव होते तो भाजपा फायदे में रहती। उनका मानना है कि शिवसेना पक्ष प्रमुख व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की तबियत अभी पूरी तरह ठीक न होने की वजह से सत्तापक्ष यह चुनाव टालना चाहता है। मुख्यमंत्री स्वास्थ्य कारणों से अभी ज्यादा सक्रिय नहीं हैं। विधानमंडल का बजट सत्र शुरु हुए तीन दिन बीत चुके हैं। लेकिन पहले दिन के बाद विधानभवन में मुख्यमंत्री के दर्शन नहीं हुए। फिलहाल भाजपा नेताओं की नजर पांच राज्यों खासकर गोवा व उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव पर हैं। भाजपा को लगता है कि पड़ोसी राज्य गोवा और देश के सबसे बड़े सूबे यूपी में सत्ता में वापसी से भाजपा का पौवा भारी हो जाएगा जिसका लाभ महराष्ट्र के स्थानीय निकाय चुनावों में भी मिलेगा।  


 

Created On :   7 March 2022 8:39 PM IST

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