दफ्तरों में नहीं मिल रहे साहब तहसीलों में हजारों प्रकरण अटके, जनता हो रही परेशान 

Thousands of cases are stuck in the tehsils not being found in the offices, the public is getting upset
दफ्तरों में नहीं मिल रहे साहब तहसीलों में हजारों प्रकरण अटके, जनता हो रही परेशान 
दफ्तरों में नहीं मिल रहे साहब तहसीलों में हजारों प्रकरण अटके, जनता हो रही परेशान 

जिले के न्यायालयों में 23 हजार से ज्यादा प्रकरण एक साल में हुए दर्ज
डिजिटल डेस्क जबलपुर ।
जनता पिछले एक साल से कोविड महामारी से जूझ रही है और उनके जो छोटे-छोटे काम हैं वे साहबों के पास अटके पड़े हैं। दूसरी तरफ संक्रमण कम होने के बाद भी साहब दफ्तरों में नहीं मिल रहे हैं। स्थिति यह है कि किसी भी तहसील ऑफिस में न तो एसडीएम मिल रहे हैं और न ही तहसीलदार। जिले के न्यायालयों में पिछले एक साल में 23 हजार से ज्यादा प्रकरण दर्ज किए गए हैं। इनमें से अभी हजारों प्रकरण ऐसे हैं जिनका निराकरण नहीं हुआ है। कोरोना की पहली लहर के बाद जब दफ्तर खुले तो लोगों की शिकायतों और आवेदनों का ढेर लग गया। तहसील के साथ ही एसडीएम और अपर कलेक्टर की कोर्ट में प्रकरण दर्ज हुए हैं। संक्रमण कम होने के बाद अब अधिकारियों ने अपने दफ्तर में बैठना शुरू ही किया था कि उन्हें वैक्सीनेशन महाअभियान में लगा दिया गया। हर अधिकारी को उनके क्षेत्र में ज्यादा से ज्यादा वैक्सीनेशन का टारगेट दिया गया है। इस स्थिति में अभी एक सप्ताह तक अधिकारियों का ऑफिस में बैठना मुश्किल है। ऐसे में जनता के जो काम हैं वे कैसे पूरे होंगे। 
तहसीलों के ऐसे हैं हाल
जिले की तहसीलों में काम न होने के कारण उच्च स्तर पर शिकायत की जा रही है। इसमें शहपुरा तहसील की सबसे ज्यादा 243 शिकायतें हैं। इसी तरह सिहोरा की 208, मझौली की 163, गोरखपुर की 155, अधारताल तहसील की 149, रांझी की 129, पनागर की 117, पाटन की 116, जबलपुर तहसील की 98, बरगी की 57, बरेला की 52 व कुंडम तहसील की 32 से ज्यादा शिकायतें हैं, जिनका निराकरण तहसीलदार नहीं कर रहे हैं।
 

Created On :   28 Jun 2021 2:05 PM IST

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