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भ्रष्टाचार को रोकने के लिए ही सरकार ने राशन दुकानों में बायोमैट्रिक हाजिरी को अनिवार्य किया, इसमें नहीं दे सकते हैं दखल

बायोमैट्रिक मशीन से कोरोना का संक्रमण फैलने का आरोप लगाने वाली याचिका खारिज कर हाईकोर्ट ने दिया फैसला
डिजिटल डेस्क जबलपुर । हाईकोर्ट ने वह याचिका खारिज कर दी है, जिसमें राशन दुकानों में बायोमैट्रिक हाजिरी अनिवार्य किए जाने को चुनौती दी गई थी। याचिका में आरोप लगाया गया था कि राशन दुकानों में बड़ी संख्या में गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले लोग आते हैं और एक ही मशीन में कई लोगों की अंगुलियां लगने से कोरोना का संक्रमण फैल सकता है। जस्टिस सुबोध अभ्यंकर की एकलपीठ ने याचिका में लिए गए आधारों को नाकाफी पाते हुए कहा- च्भ्रष्टाचार को रोकने के लिए ही सरकार ने बायोमैट्रिक हाजिरी को अनिवार्य किया है। अपनी गाईडलाईन में सरकार ने बायोमैट्रिक मशीन के इस्तेमाल को लेकर कई उपाय राशन दुकान संचालकों के लिए अनिवार्य किए हैं। ऐसें जनता की भलाई के लिए उठाए गए इस कदम को गलत नहीं ठहराया जा सकता।
अदालत ने यह फैसला होशंगाबाद निवासी मप्र राशन दुकान संचालक विक्रेता जनकल्याण संघ के अध्यक्ष प्रकाश तिवारी की याचिका पर दिया। याचिका में दावा किया गया था कि एकतरफ तो सरकार कोरोना वायरस से मुकाबले के लिए कई प्रयास कर रही, वहीं दूसरी ओर बायोमैट्रिक मशीन से हाजिरी लगने पर कोरोना संक्रमण के तेजी से फैलने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। शासन की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता पुष्पेन्द्र यादव ने सुनवाई के दौरान अपना विरोध दर्ज कराया। सुनवाई के बाद अपने फैसले में अदालत ने अपनी राय देकर कहा- च्मौजूदा काल एक तरह से प्रयोग करने का है। किसी भी फार्मूले को आधार बनाकर जनता के कल्याण से जुड़ी योजनाओं को अमल में लाने से नहीं रोका जा सकता है। किसी भी प्रक्रिया पर ट्रायल होता है और उससे होने वाली गलतियों को सुधारकर ही योजना को अमल में लाया जाता है। यहां इस बात का उल्लेख करने में कोई हर्ज नहीं है कि कोरोना संकट के दौरान अदालतों में होने वाली सुनवाई की प्रक्रिया में विराम लग गया, लेकिन कई उदाहरणों पर गौर करने के बाद कोर्ट में सुनवाई की नई प्रक्रिया शुरु की गई।ज् इस मत के साथ अदालत ने याचिका आधारहीन पाकर खारिज कर दी।
Created On :   28 July 2020 6:10 PM IST