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मेलघाट में महिलाओं के तंबाकू सेवन से गर्भ में पल रहे बच्चों पर पड़ता है बुरा असर
डिजिटल डेस्क, मुंबई। अमरावती के मेलघाट में महिलाओं का तंबाकू सेवन उनके गर्भ में पल रहे बच्चे की सेहत पर विपरीत असर डालता है। यही नहीं तंबाकू के सेवन को भ्रूण तक रक्त की आपूर्ति को बाधित करने का एक बड़ा कारण भी माना जाता है। जिससे कई बार जन्म के समय बच्चे का वजन कम होता है अथवा बच्चे का जन्म समय से पहले हो जाता है। नागपुर रेंज के विशेष पुलिस महानिरीक्षक छेरिंग दोरजे द्वारा मेलघाट में कुपोषण से होनेवाली बच्चों के मौत के कारणों को लेकर बांबे हाईकोर्ट को सौपी गई रिपोर्ट में इस बात का खुलासा किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक मेलघाट में महिलाओं द्वारा तंबाकू का सेवन आम है। इसलिए जरुरी है कि मेलघाट के गांवों में तंबाकू सेवन के कुप्रभावों के बारे में जागरुकता फैलाई जाए और महिलाओं को शिक्षित किया जाए। मेलघाट में खास तौर से महिलाओं में आयरन डिफिसीएंसी एनीमिया बहुत ज्यादा दिखाई देता है। कुपोषण मेलघाट में अनिमिया की सबसे बड़ी वजह है। इससे वहां के लोग कई संक्रमण का शिकार होते हैं। इसलिए मेलघाट में एनीमिया के अस्तित्व के कारणों की पड़ताल के लिए अध्ययन किया जाना जरुरी है।
महिलाओं को मिले जल्द पोषक आहार
रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि मां स्वस्थ्य रहेगी तो वह स्वस्थ बच्चे को जन्म देगी। इसलिए जरुरी है कि गर्भावस्था की जानकारी मिलने के बाद आंगनवाडी केंद्रों में तुरंत महिला का पंजीयन किया जाए। रिपोर्ट के अनुसार वर्तमान में गर्भवती होने के बाद महिलाओं को पोषक आहार तीन महीने बाद दिया जाता है लेकिन रिपोर्ट में कहा गया है कि यह पोषक आहार महिला को और शीघ्रता से दिया जाना चाहिए। गर्भावस्था के दौरान महिला की सेहत की निगरानी जरुरी है। जिससे महिला के पेट में पल रह भ्रूण का सही तरीके से विकास हो और बच्चा तंदुरस्त पैदा होगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि गर्भवति महिला की सोनोग्राफी किया जाना बेहत जरुरी है ताकि भ्रूण की सही अवधि का पता लगाया जा सके किंतु वर्तमान में हर मामले में कई कारणों के चलते ऐसा नहीं हो पा रहा है।
अभी भी बड़ी संख्या में बच्चों का जन्म घरों में
रिपोर्ट में कहा गया है कि मेलघाट इलाके में अभी भी बड़ी संख्या में बच्चों का जन्म घरों में स्थानीय दायी कराती है। इसकी वजह है कि अभी भी लोगों की प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) तक पहुंच नहीं है। इसलिए हमे दूसरे सुरक्षित विकल्पों पर विचार करने की आवश्यकता है। प्रयास किया जाए कि बच्चों का जन्म पीएचसी में हो। रिपोर्ट में कहा गया है कि मेलघाट में आंगनवाडी के कामकाज पर प्रभावी ढंग से निगरानी की जरुरत है। वहां पर कार्यरत डाक्टरों के वेतन पर ध्यान देना अपेक्षित है। सबसे महत्वपूर्ण मेलघाट के लोगों को स्थानीय स्तर पर रोजगार देना बहुत जरुरी है। रिपोर्ट में मेलघाट में लोगों को दुधारु पशु देने का सुझाव दिया गया है। जिससे इन पशुओं को रखनेवालों की सेहत भी ठीक रहेगी और दूध बेचकर कमाई भी कर सकेंगे। इससे वहां पर होनेवाले पलायन को भी रोकने में मदद मिलेगी। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को श्री दोरजे की इस रिपोर्ट के आधार पर प्रभावी योजना बनाने को कहा है और इस मामले से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई 3 जनवरी 2021 को रखी है।
Created On :   31 Dec 2021 9:21 PM IST