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पैसेंजरों के लिए यातना से कम नहीं ट्रेनों का सफर

जस्टिस राजीव श्रीवास्तव के पत्र रूपी जनहित याचिका पर अधिवक्ता आदित्य संघी की अर्जी में लगे आरोपों पर हाईकोर्ट ने मांगा रेलवे से जवाब
डिजिटल डेस्क जबलपुर । ग्वालियर से जबलपुर यात्रा के दौरान ट्रेन में जस्टिस राजीव कुमार श्रीवास्तव के कटु अनुभवों पर अधिवक्ता आदित्य संघी ने अपनी सहमति जताई है। श्री संघी ने एक अर्जी दायर करके आरोप लगाया है कि ट्रेनों का सफर यात्रियों के लिए यातना से कम नहीं है। सुविधाओं के नाम पर पैसेंजरों न साफ सफाई मिलती है और न ही साफ सुथरे बाथरूम। इतना ही नहीं, एसी-वन में कोटा सिस्टम के कारण आम यात्री को कभी टिकट ही नहीं मिल पाती। अर्जी में लगाए गए आरोपों को संजीदगी से लेते हुए चीफ जस्टिस अजय कुमार मित्तल और जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ ने रेलवे को नोटिस जारी करते हुए अगली सुनवाई 2 मार्च को निर्धारित की है।
गौरतलब है कि जस्टिस राजीव कुमार श्रीवास्तव ऑफीशियल विजिट पर ग्वालियर से जबलपुर की यात्रा कर रहे थे। यात्रा के दौरान किए गए अनुभवों को लेकर उन्होंने यह पत्र रजिस्ट्रार जनरल को भेजा था, ताकि उन कमियों को दूर करने ठोस कदम उठाए जा सकें। मामले पर सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान अदालत मित्र के रूप में अधिवक्ता समदर्शी तिवारी और रेलवे की ओर से अधिवक्ता नरेन्द्र पाल सिंह रूपराह हाजिर हुए। युगलपीठ ने श्री संघी को याचिकाकर्ता क्रमांक दो बनाते हुए उनकी अर्जी पर रेलवे को जवाब देने के निर्देश दिए।
या तो सीटें बढ़ें या कोटा कम हो
एसी-वन के कोटा सिस्टम को अर्जी में कटघरे में रखा गया है। अर्जी में कहा गया है कि एसी-वन की दस की दस सीटें वीआईपी कोटे में चली जाती हैं और आरक्षण का प्रावधान होने के बाद भी आम यात्रियों को उस कोच में सफर का लाभ नहीं मिल पाता। उन्होंने कहा कि एसी-वन में सौ प्रतिशत कोटा सिस्टम असंवैधानिक है। लंबी दूरी की ट्रेनों में पेन्ट्री कार नहीं: अर्जी के अनुसार जबलपुर से चलने वालीं लंबी दूरी की अधिकांश ट्रेनों में पेन्ट्री कार ही नहीं होती। ऐसे में लंबे सफर पर जाने वाले यात्रियों को स्टेशनों पर खुले और गंदगी के बीच बिकने वाले खाद्य पदार्थ मजबूरी में खरीदना पड़ता है। उन खाद्य पदार्थों के कारण पैसेंजरों का स्वास्थ्य हमेशा दांव पर लगा रहता है। पैसेंजरों की सेहत का ध्यान रखने में रेलवे नाकाम साबित हो रही।
Created On :   11 Feb 2020 1:35 PM IST