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वनवासी महिलाएं रोकेंगी जड़ी-बूटी की अंतरराज्यीय तस्करी

डिजिटल डेस्क, सतना। एमपी-यूपी के सरहद पर विंध्य पर्वत श्रृंखला से जुड़े जिले के पवित्र तीर्थ स्थल चित्रकूट के तपोवन क्षेत्र में वन औषधियों की तस्करी को रोकने के लिए वन विभाग ने एक अभिनव पहल की है। इस वन क्षेत्र में जड़ी-बूटियों की 100 से भी ज्यादा दुर्लभ किस्में पाई जाती हैं। आमतौर पर बारिश के मौसम में नैसर्गिक तौर पर यही वनऔषधियां फलने-फूलने लगती हैं। यही वो वक्त होता है,जब इन कीमती जड़ी-बूटियों की तलाश में अंतरराज्यीय तस्करों के गिरोह भी सक्रिय हो जाते हैं। सीमित संसाधनों की वजह से ऐसे किसी भी गिरोह पर लगाम लगा पाना मुमकिन नहीं होता है।
आगे आईं वनवासी महिलाएं
जिले के वन मंडल अधिकारी (DFO) राजीव मिश्रा के मुताबिक चित्रकूट क्षेत्र की वनवासी महिलाएं धीरे-धीरे प्राकृतिक जड़ी-बूटियों के जरिए आर्थिक रुप से आत्मनिर्भर बन रही हैं। प्राय: इन महिलाओं के पति दिहाड़ी मजूदरी करते हैं। परंपरागत तौर पर आदिवासियों को जड़ी-बूटियों की अच्छी और पक्की पहचान होती है। इसी वजह इन्हें प्रोत्साहित करने के अच्छे नतीजे सामने आ रहे हैं।
मदद करती हैं 4 ग्राम वन समितियां
DFO ने बताया कि चित्रकूट के पवित्र वन क्षेत्र में जड़ी-बूटियों की तकरीबन 100 से भी ज्यादा दुर्लभ किस्में उपलब्ध हैं। वनवासी महिलाओं को वन औषधियों के संग्रह में मदद करने के लिए 4 ग्राम वन समितियां भी सक्रिय की गई हैं। वनवासी महिलाओं को संग्रहित जड़ी-बूटियों बाजार में बेंचने की आजादी है। उनके लिए सुगम और वाजिब मूल्य आधारित बाजार उपलब्ध कराने के भी प्रयास किए जा रहे हैं।
इनका है भंडार
आदिवासियों को जड़ी-बूटियों की अच्छी और पक्की पहचान होती है। चित्रकूट के जंगलों में सफेद मूसली, काली मूसली, शतावर, सेमर मूसली, केवकंद, करिहारी, केषरिया कंद, पतालकुमंडी, बिलारीकंद (वन सिघांडा), बिदारी कंद, अमलोशा, लिलगुन्डी, अश्वगंधा, नागरमोथा, भृंगराज, भुई आंवला, शंखपुष्पी, इन्नीपत्री, रतनज्योति, बिधारा, चिरायता, पुर्ननवा, गुड़मार पत्री और नारी दमदरी समेत दुर्लभ किस्म की अन्य जड़ी-बूटियां भरी पड़ी हैं।
Created On :   20 Jun 2018 2:02 PM IST