माँ नर्मदा के आँगन में तुलसी मैया का दरबार भारत का जबलपुर में दूसरा अनोखा मंदिर

Tulsi Maias court in the courtyard of Maa Narmada, Indias second unique temple in Jabalpur
माँ नर्मदा के आँगन में तुलसी मैया का दरबार भारत का जबलपुर में दूसरा अनोखा मंदिर
माँ नर्मदा के आँगन में तुलसी मैया का दरबार भारत का जबलपुर में दूसरा अनोखा मंदिर

देवउठनी ग्वारस पर पूजन-अर्चन, तुलसी-शालिग्राम विवाह का विशेष महत्व
डिजिटल डेस्क जबलपुर ।
सनातन धर्म में तुलसी पौधों का विशेष महत्व बताया गया है। सभी लोगों के घरों में तुलसी मैया का पौधे के रूप में प्रतिदिन पूजन-अर्चन किया जाता है। मंदिर में मूर्ति के रूप में पूजन करने कहीं देखने को नहीं मिलता है। लेकिन माँ नर्मदा के आँगन में तुलसी मैया का अनोखा मंदिर बनाया गया है, जहाँ तुलसी मैया का मूर्ति रूप में भी पूजन किया जा रहा है। तुलसी मंदिर को लेकर दावा किया जा रहा है कि यह जालंधर के बाद भारत का दूसरा मंदिर है। देव उठनी एकादशी पर भगवान विष्णु के चार माह की योग निंद्रा से उठने के बाद उनका विशेष पूजन-अर्चन किया जाता है। इसके साथ ही तुलसी-शालिग्राम विवाह की परंपरा है।  जिन्हें कन्या संतान नहीं होती वह तुलसी जी का विवाह शालिग्राम जी से कराकर कन्या दान का सुख पाते हैं। 
कैसे बना मंदिर 
 ग्वारीघाट थाने के सामने पं. अमित कृष्ण शास्त्री के द्वारा यज्ञशाला में इस वर्ष शरद पूर्णिमा पर तुलसी मैया की मूर्ति बनाकर मंदिर में विराजमान की गई है। उन्होंने बताया कि बड़े शोध करने के बाद काशी में तुलसी के मूरत स्वरूप का वर्णन मिला है। प्राचीन दुर्लभ श्री तुलसी माहात्म्य ग्रंथ में मिले चित्र से विराजित मूर्ति के स्वरूप का वर्णन मिला है। चित्र के आधार पर मूर्ति का स्वरूप धनंजय परांजपे द्वारा दिया गया।  
जालंधर में तुलसी मैया का मंदिर 
 पं. काल्वे ने बताया कि जालंधर में तुलसी मैया का पहला मंदिर जालंधर नरेश ने 12वीं शताब्दी में बनवाया था। इसके बाद कहीं पर भी तुलसी मैया का मंदिर नहीं है। 
 

Created On :   25 Nov 2020 10:13 AM GMT

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