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उपसभापति और मंत्री पाटील में हुई नोकझोंक, गोर्हे ने कहा- मंत्री अपने घर के होंगे
डिजिटल डेस्क, मुंबई। विधान परिषद में उपसभापति नीलम गोर्हे और राज्य के जलापूर्ति व स्वच्छता मंत्री गुलाबराव पाटील के बीच गुरुवार को सदन में जमकर कहा-सुनी हो गई। उपसभापति के फटकार लगाने पर नाराज पाटील बोले मैं मंत्री हूं। मुझे सदन में बोलने का अधिकार है। इस पर गुस्साई उपसभापति ने कहा कि ‘आप मंत्री अपने घर के होंगे।’ इस दौरान शिवसेना के सदस्य अनिल परब और मंत्री पाटील के बीच भी जमकर नोकझोक हो गई। इस हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही पांच मिनट के लिए स्थगित करनी पड़ी। दरअसल गुरुवार को प्रश्नकाल के दौरान सदन में राकांपा के सदस्य विक्रम काले ने त्रुटी पूर्ण करने वाले राज्य के प्राथमिक, माध्यमिक और उच्च माध्यमिक स्कूलों और कक्षाओं को अनुदान मंजूर करने के संबंध में सवाल पूछा था। जिस पर राज्य के स्कूली शिक्षा मंत्री दीपक केसरकर ने जवाब दिया। लेकिन विपक्ष के सदस्य केसरकर के जवाब से संतुष्ट नजर नहीं आए। शिवसेना के सदस्य अनिल परब ने कहा कि अनुदान की फाइल पर तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और तत्कालीन उपमुख्यमंत्री अजित पवार हस्ताक्षर कर चुके हैं। इसलिए केसरकर को अनुदान देने के बारे में शासनादेश जारी करना चाहिए। परब जब बोल रहे थे तभी मंत्री पाटील ने कहा कि हम भी पिछली महाविकास आघाड़ी सरकार के काम के बारे में बोले क्या? पाटील के बयान से नाराज विपक्ष के सदस्य जमकर हंगामा करने लगे। इसके जवाब में सत्तारूढ़ दल के सदस्य भी अपने आसन पर खड़े हो गए। हंगामे के कारण उपसभापति ने सदन की कार्यवाही को पांच मिनट के लिए स्थगित कर दिया।
सदन का कामकाज दोबारा शुरू होने पर विधान परिषद में विपक्ष के नेता अंबादास दानवे ने कहा कि यदि सदन में मंत्री दादागिरी की भाषा बोलेंगे तो हमें भी उसका जवाब देना आता है। संबंधित मंत्री को माफी मांगनी चाहिए। इसके बाद पाटील ने कहा कि विपक्ष के नेता कह रहे हैं कि मैं दादागिरी कर रहा हूं। मैं पूर्व की महाविकास आघाड़ी सरकार में मंत्री था। उस सरकार में अनिल परब परिवहन मंत्री रहते एसटी के कर्मचरियों को 4-4 महीने तक वेतन नहीं दे सके थे। इस पर उपसभापति ने पाटील से कहा कि आप दूसरे मुद्दे पर बोल रहे हैं। आप तुरंत बैठ जाइए। मैं आपको तुंरत बैठने के लिए निर्देश देती हूं। लेकिन पाटील अपने आसन पर बैठने के लिए तैयार नहीं हुए। इससे गुस्साई उपसभापति ने कहा कि सदन में बर्ताव करने का यह कौन सा तरीका है? आप किसी चौक पर खड़े हैं क्या? जिस पर पलटवार करते हुए पाटील ने कहा कि मैं मंत्री हूं। इसके जवाब में उपसभापति ने कहा कि आप मंत्री हैं तो क्या हुआ? आप मंत्री अपने घर के लिए होंगे। यह सदन है। आप तुरंत बैठ जाइए। इसके बाद भाजपा के सदस्य सुरेश धस ने उपसभापति से कहा कि आपने बोलते हुए पाटील को ‘मंत्री अपने घर के होंगे।’ कहा है, शायद आपने भूलवश यह बोल दिया है। मुझे पता नहीं क्या गुस्सा है मगर उस शब्द को सदन के कामकाज से हटा देना चाहिए। जिस पर उपसभापति ने कहा कि मैं जांच करने के बाद आपको अवगत कराऊंगी।
जल्दबाजी में उद्धव न किए थे हस्ताक्षर
इसके पहले मंत्री केसरकर ने राकांपा विधायक काले के सवाल पर जवाब देते हुए कहा कि तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने अपने इस्तीफे के दिन अनुदान मंजूर करने वाली फाइल पर हस्ताक्षर किया था। इस फाइल को तत्कालीन स्कूली शिक्षा मंत्री वर्षा गायकवाड और तत्कालीन उपमुख्यमंत्री अजित पवार के पास से सीधे मुख्यमंत्री को भेज दिया गया था। जबकि अनुदान की फाइल को पहले वित्त विभाग से मंजूरी के लिए भेजना चाहिए था। इस पर शेकाप के सदस्य जयंत पाटील ने कहा कि वित्त विभाग क्या मुख्यमंत्री से बड़ा होता है? मुख्यमंत्री को वित्त विभाग के फैसले को ओवररुल करने का अधिकार होता है। जिस पर केसरकर ने कहा कि मुझे भी पता है कि मुख्यमंत्री को अंतिम फैसला लेने का अधिकार होता है। मगर आर्थिक बोझ होने के कारण वित्त विभाग का अभिप्राय भी आवश्यक होता है। सरकार अनुदान के लिए सकारात्मक है। शिक्षकों के अनुदान के बारे में मंगलवार को बैठक भी बुलाई गई है।
Created On :   18 Aug 2022 8:58 PM IST