लोकसेवकों के खिलाफ जाँच के पूर्व अनुमति लेने का कानून असंवैधानिक

Unconstitutional law seeking prior permission against public servants
लोकसेवकों के खिलाफ जाँच के पूर्व अनुमति लेने का कानून असंवैधानिक
लोकसेवकों के खिलाफ जाँच के पूर्व अनुमति लेने का कानून असंवैधानिक

उपभोक्ता मंच ने मुख्य सचिव और सामान्य प्रशासन विभाग को भेजा नोटिस
डिजिटल डेस्क जबलपुर ।
 राज्य सरकार ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 में प्रावधान कर दिया है कि लोकसेवकों द्वारा सरकारी कार्य में की गई अनियमितता और भ्रष्टाचार की जाँच करने के पूर्व लोकायुक्त और ईओडब्ल्यू को सरकार से अनुमति लेनी होगी। उपभोक्ता मंच ने कहा है कि यह प्रावधान असंवैधानिक है, इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी जाएगी।
 उपभोक्ता मंच ने मुख्य सचिव और सामान्य प्रशासन विभाग को नोटिस भेजकर कहा है कि इस प्रावधान को तत्काल वापस लिया जाए। डॉ. पीजी नाजपांडे और रजत भार्गव ने कहा है कि लोकसेवकों में मंत्री और वरिष्ठ अधिकारी शामिल होते हैं। ऐसे उच्च पदों पर आसीन मंत्रियों और अफसरों के खिलाफ कोई भी विभाग जाँच की अनुमति देने की हिम्मत नहीं करेगा।
11 मंत्रियों और 44 आईएएस अफसरों की जाँच
उपभोक्ता मंच ने पूर्व में प्रदेश सरकार के 11 मंत्रियों और 44 आईएएस अफसरों की वर्षों से लंबित पड़ी जाँच में तेजी लाने के लिए जनहित याचिका दायर की थी। इस पर हाईकोर्ट ने लोकायुक्त को जल्दी से जाँच प्रक्रिया निपटाने और रिक्त पदों पर नियुक्ति करने के आदेश दिए थे। उपभोक्ता मंच ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम में जाँच की समय सीमा नियत करने की माँग की है। 

Created On :   1 Jan 2021 9:55 AM GMT

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