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आजादी के 75 साल बाद भी पानी के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाना दुर्भाग्यपूर्ण
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने कहा है कि आजादी के 75 साल बाद भी लोगों को पानी की अपूर्ति किए जाने की मांग को लेकर अदालत में आना दुर्भाग्यपूर्ण है, जबकि पानी की नियमित आपूर्ति मिलना मौलिक अधिकार है। कोर्ट ने कहा कि हमें यह कहने के लिए मजबूर न किया जाए कि महाराष्ट्र सरकार अपने नागरिकों को पानी देने में भी विफल हो रही है। हम नहीं स्वीकार कर सकते हैं कि सरकार इस मामले में इतनी असहाय है। न्यायमूर्ति एसजे काथावाला व न्यायमूर्ति मिलिंद जाधव की खंडपीठ ने यह तल्ख टिप्पणी ठाणे जिले के भिवंडी इलाके के कांबे गांव में रहनेवाले लोगों की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान की है।
याचिका में मांग की गई है कि ठाणे जिला परिषद व भिवंडी निजामपुर महानगरपालिका के साथ संयुक्त करार करनेवाली इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी एसटीईएम को इलाके में रोजाना पानी की आपूर्ति करने का निर्देश दिया जाए। यचिका में याचिकाकर्ता ने दावा किया है कि वर्तमान में उन्हें महीने में सिर्फ दो ही दिन महज दो घंटे के लिए पानी मिलता है। याचिका में दावा किया गया है कि एसटीईएम की ओर से अवैध तरीके से स्थानीय नेताओं व टैंकर लाबी को पानी की आपूर्ति की जाती है। इसके अलावा इलाके पानी के बड़े पैमाने पर अवैध कनेक्सन दिए गए है।
सुनवाई के दौरान एसटीईएम के प्रबंध निदेशक भाऊसाहब दांगडे ओर से खंडपीठ को बताया गया कि एक निश्चित प्वाइंट तक इलाके में रोजाना पानी की आपूर्ति होती है। और इस प्वाइंट से जहां याचिकाकर्ताओं का घर है वहां पानी की आपूर्ति करना ग्राम पंचायत की जवाबदारी है। निदेशक ने खंडपीठ के सामने स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ता के गांव में आबादी बढने के चलते वहां पर पानी की मांग बढ गई है। इसके लिए हमे अपने सिस्टम को अपग्रेड करना पड़ेगा।
इन बातों को सुनने के बाद खंडपीठ ने कहा कि जब तक सिस्टम अपडेट नहीं होता है, तब तक याचिकाकर्ता क्या करे। खंडपीठ ने कहा कि कुछ समय के लिए ही समय गांव में रोजाना पानी की आपूर्ति की जाए। पानी मौलिक अधिकार है। लोगों को इस तरह परेशान होने के लिए नहीं छोड़ा जा सकता है। यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि पानी की आपूर्ति के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ रहा है। यदि इलाके में स्थिति नहीं सुधरी, तो हमें राज्य के आला अधिकारियों को यहां बुलाने में कोई हिचकिचाहट नहीं होगी।
खंडपीठ ने कहा कि एसटीईएम पहले पानी के अवैध कनेक्शन काटे। एसटीईएम की निष्क्रियता के चलते याचिकाकर्ताओं को पानी नहीं मिल पा रहा है, जो कि उनका मौलिक अधिकार है। इस पर एसटीईएम के निदेशक ने कहा कि जब पानी के अवैध कनेक्शन काटने को लेकर कार्रवाई की गई, तो इसका विरोध हुआ और काफी संख्या में लोगों की भीड़ इकट्ठा हो गई। खंडपीठ ने अब इस याचिका पर सुनवाई गुरुवार को रखी है और एटीईएम के निदेशक को प्रत्यक्ष रुप से कोर्ट में उपस्थित रहने का निर्देश दिया है।
Created On :   8 Sept 2021 6:14 PM IST