मांझों से घायल पक्षियों की जान बचाने दिन रात काम कर रहे है स्वयंसेवी

Volunteers are working day and night to save the lives of injured birds
मांझों से घायल पक्षियों की जान बचाने दिन रात काम कर रहे है स्वयंसेवी
पतंगबाजी बनी मुसीबत मांझों से घायल पक्षियों की जान बचाने दिन रात काम कर रहे है स्वयंसेवी

डिजिटल डेस्क, मुंबई, दुष्यंत मिश्र। जीव दया ग्रुप से जुड़े शैलेश मेहता अपनी एंबुलेंस लेकिन दिन रात घायल पंक्षियों को लेकर अस्पताल पहुंचाने में व्यस्त रहते हैं क्योंकि मकर संक्रांति से शुरू हुआ पतंग उड़ाने का सिलसिला आसमान में उड़ने और पेड़ों पर बसेरा लेने वाले इन बेजुबानों की जान पर भारी पड़ रहा है। 20 सालों से बेजुबानों की जान बचा रहे मेहता ने बताया कि एक दुपहिया को उन्होंने पक्षियों और जानवरों के एंबुलेंस में बदल दिया है जिसमें सायरन और दवा भी उपलब्ध रहती है। उन्हें पुलिस से लेकर डिजास्टर मैनेजमेंट तक के फोन आते है जिसके बाद वे घायल पक्षियों को अस्पताल तक पहुंचाते हैं। मेहता ने बताया कि संक्रांति से बाद से अब तक वे 650 से ज्यादा घायल पक्षियों का इलाज करा चुके हैं। मेहता के मुताबिक मुंबई में ही मांझे की चपेट में आने से एक हजार से ज्यादा पक्षी जख्मी हुए हैं। इनमें से कुछ की मौत भी हो गई है।

मेहता के जीव दया ग्रुप से मुंबई के साथ आसपास के इलाकों के भी स्वयंसेवी जुटे हुए हैं। दूसरी भी संस्थाएं घायल पक्षियों की देखभाल और इलाज में जुटी हुईं हैं। मानद वन्यजीव वॉर्डन और मानद प्राणी कल्याण अधिकारी सुनीश सुब्रमण्यन कुंजू ने बताया कि मकर संक्राति के बाद से ही मुंबई के मलबार हिल, पवई, मुलुंड, भांडुप, बोरिवली के साथ आसपास के ठाणे, मीरारोड जैसे इलाकों में भी कई प्राणियों के घायल होने की सूचनाएं आ रहीं हैं।पतंग के साथ कटे हुए मांझे जगह-जगह पेड़ों पर फंसे हुए हैं और आसरा लेने पहुंचने वाले पक्षियों के लिए ये मुसीबत बन रहे हैं। प्लांट्स एंड वेलफेयर सोसायटी से जुड़े पशु चिकित्सकों डॉक्टर मनीष पिंगले और डॉक्टर राहुल मेश्राम ने संक्राति के बाद से दो दर्जन से ज्यादा पक्षियों का इलाज कर उन्हें नई जिंदगी दी। 15 जनवरी को यानी संक्रांति के दिन ही मुंबई और आसपास के जिलें में 900 से ज्यादा पक्षी मांझों के चपेट में आए थे। इनमें से ज्यादातर जख्मी हुए और कुछ की जान भी चली गई।

सुनीश के मुताबिक कई सालों से चल रहे जागरूकता अभियान के बावजूद अब भी पड़ी संख्या में मकर संक्रांति के दिन पतंग उड़ाते हैं लेकिन हमें समझना होगा कि आसमान पर पक्षियों का अधिकार है। सबसे बड़ी समस्या चाईनीज या नायलान के मांझे का इस्तेमाल है। पाबंदी के बावजूद इन मांझों का इस्तेमाल हो रहा है। सिर्फ पक्षियों ही नहीं इंसानों के लिए भी यह मांझे जानलेवा साबिह हो रहे हैं और भिवंडी में एक दुपहिया सवार की मांझे की चपेट में आने के चलते जान भी चली गई। 

Created On :   23 Jan 2023 12:10 PM GMT

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