पहले कैशलेस नहीं किया अब क्लेम कर दिया रिजेक्ट, पीडि़तों का आरोप - अब पॉलिसी रिन्यू कराने बना रहे दबाव, की जानी चाहिए कड़ी कार्रवाई

Was not cashless earlier, now has been rejected - allegation of victims
पहले कैशलेस नहीं किया अब क्लेम कर दिया रिजेक्ट, पीडि़तों का आरोप - अब पॉलिसी रिन्यू कराने बना रहे दबाव, की जानी चाहिए कड़ी कार्रवाई
पहले कैशलेस नहीं किया अब क्लेम कर दिया रिजेक्ट, पीडि़तों का आरोप - अब पॉलिसी रिन्यू कराने बना रहे दबाव, की जानी चाहिए कड़ी कार्रवाई

डिजिटल डेस्क जबलपुर । कब, किसे, कौन सी बीमारी हो जाए यह पहले से किसी को नहीं मालूम होता। अचानक किसी तरह की परेशानी होने के बाद अस्पताल पहुँचने पर परीक्षण के उपरांत ही बीमारी का खुलासा होता है। ऐसी स्थिति में अगर बीमा कंपनी हाथ खड़े कर ले, तो बीमित व्यक्ति का विश्वास इंश्योरेंस कंपनी से उठना लाजिमी है। ऐसी ही लगातार शिकायतें बीमा कंपनी की आ रही हैं। यह स्थिति एक जिले की नहीं बल्कि अनेक जिलों में संचालित होने वाली इंश्योरेंस कंपनियों की है। सारे दस्तावेज लेने के बाद पॉलिसी धारक को भटकाया जाता है, उसके बाद यह कह दिया जाता है कि आपकी बीमारी के बिल क्लेम देने के लायक नहीं हैं। इस तरह के मामले एक नहीं बल्कि अनेक हैं और बीमा कंपनियाँ अपने पॉलिसी धारकों के साथ न्याय नहीं कर पा रहीं। बीमित व्यक्ति इंश्योरेंस कंपनी के जिम्मेदार अधिकारी व टोल-फ्री नंबरों पर संपर्क कर चुके हैं पर किसी न किसी तरह का बहाना बनाकर जिम्मेदार फोन कट कर देते हैं। अब तो स्थिति यह है कि बीमा कंपनी के लोग पॉलिसी रिन्यू कराने के लिए दबाव बना रहे हैं।
केस.1 7 एक साल बाद भी नहीं दिया अस्पताल व दवाइयों का बिल
गोहलपुर नर्मदा नगर अमखेरा रोड मालगुजार परिसर निवासी नीतू कुशवाहा ने अपनी शिकायत में बताया उन्होंने स्टार हेल्थ से मेडिक्लेम लिया हुआ है। पति संतोष कुशवाहा की तबियत खराब होने के कारण उन्हें जबलपुर अस्पताल में भर्ती कराया था। वहाँ पर चैक करने पर खुलासा हुआ कि ब्लड की कमी बनी हुई है। ब्लड की कमी होने से तीन बॉटल ब्लड चढ़ा और अन्य इलाज भी चला। स्टार हेल्थ में कैशलेस करने आवेदन दिया तो वहाँ से इनकार कर दिया गया। बीमा कंपनी के जिम्मेदार अधिकारियों ने कहा था कि आप बिल देंगे तो हम तुरंत बिलों का भुगतान कर देंगे। पीडि़ता का कहना है कि जब उनके द्वारा बिल लगाए गए तो कई तरह की क्वेरी निकाली गईं और अचानक बिल का भुगतान करने से इनकार कर दिया गया। बीमा कंपनी का कहना था कि आपके पति को बीमारी पुरानी है, इसलिए हम आपका क्लेम सेटल नहीं कर सकते। उनके द्वारा सारे दस्तावेज दिए गए कि यह बीमारी पुरानी नहीं बल्कि अचानक हुई तो बीमा कंपनी मानने तैयार नहीं हैं।
केस.27 दस्तावेज जमा कराए लेकिन मौत के ढाई साल बाद भी नहीं मिला नॉमिनी को क्लेम
सिवनी ग्राम मेराथान निवासी प्रमोद श्रीवास्तव ने बताया कि उनकी पत्नी शशि श्रीवास्तव आँगनबाड़ी में सहायिका के पद पर कार्यरत थीं। अचानक 18 नवंबर 2018 को उपचार के दौरान उनकी मौत हो गई। मौत के बाद खुलासा हुआ कि भारतीय जीवन बीमा निगम के माध्यम से पीएनजीएस बीमा का संचालन पत्नी कर रही थीं और पॉलिसी की राशि भी जमा करती थीं। सारे दस्तावेज मिलने के बाद भारतीय जीवन बीमा निगम मंडल जबलपुर मदन महल ऑफिस में जमा कराए थे। दस्तावेज महिला बाल विकास के माध्यम से ऑफिस में जमा कराए गए थे। प्रमोद लगातार पॉलिसी की रकम पाने के लिए अधिकारियों से संपर्क कर रहे हैं पर किसी तरह का सहयोग उन्हें नहीं मिल रहा है। ढाई साल बाद भी बीमा कंपनी उनकी पॉलिसी का भुगतान नहीं कर रही है। वहीं महिलाबाल विकास सिवनी के अधिकारियों से वे मिलते हैं पर वहाँ भी उन्हें गुमराह किया जा रहा है। पीडि़त का आरोप है कि बीमा कंपनी आम आदमियों के साथ धोखा करने में लगी है। 
जिम्मेदार बचते रहे
संतोष कुशवाहा का कैशलेस क्यों नहीं किया गया?  जब उनके द्वारा सारे बिल स्टार हेल्थ में जमा किए गए तो भुगतान क्यों नहीं किया गया। अनेक क्वेरी निकालने के बाद अचानक क्लेम रिजेक्ट किए जाने के मामले में जिम्मेदार अधिकारी जवाब देने से बचते रहे।
पॉलिसी चैक कर जल्द किया जाएगा निराकरण
ग्राम मेराथान निवासी शशि श्रीवास्तव की पॉलिसी का भुगतान क्यों नहीं हुआ, इसका परीक्षण कराया जाएगा। परीक्षण में गड़बड़ी पाई जाती है तो निराकरण कराने के बाद जल्द भुगतान कराने की प्रक्रिया अपनाई जाएगी।
-अनुराग राव, सीनियर ब्रांच मैनेजर पीएनजीएस (एलआईसी)

Created On :   10 Jun 2021 10:42 AM GMT

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