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कहा था कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई तो मिलेगी एक मुश्त राशि... पर दे नहीं रहे
पॉलिसी धारक का कहना है कि लाभ कमाने के लिए किए गए थे झूठे वादे
डिजिटल डेस्क जबलपुर । पॉलिसी बेचते वक्त कहा गया था कि कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आते ही इलाज के लिए एक मुश्त राशि मिलेगी। एजेंट व बीमा कंपनी के अधिकारियों के वादों में आकर सैकड़ों लोगों ने पॉलिसी ली। पॉलिसी लेने के बाद जब पॉलिसी धारक कोरोना संक्रमण के शिकार हुए तो उन्हें किसी तरह का लाभ जब नहीं मिला, तो खुलासा हुआ कि यह तो झूठा वादा था। बीमा कंपनी ने हम पॉलिसी धारकों के साथ धोखाधड़ी की है। बीमित लोगों का कहना है कि सैकड़ों लोगों के साथ कई तरह के बहाने बनाकर व कमियाँ निकालकर क्लेम को निरस्त कर दिया गया। उसके बाद लगातार पॉलिसी धारक बीमा कंपनी को प्रतिवेदन भेज रहे हैं पर किसी को भी उत्तर नहीं दिया जा रहा है। यहाँ तक की टोल-फ्री नंबरों पर भी जवाब नहीं दिया जा रहा है। परेशान होकर पीडि़त अब उपभोक्ता फोरम जाने की तैयारी कर रहे हैं।
कोरोना की फर्जी रिपोर्ट होने का दावा कर रिजेक्ट की फाइल
गांधी वार्ड गाडरवारा निवासी पवन कुरचानिया ने बताया कि उन्होंने कोरोना कवच पॉलिसी इफको टोकियो बीमा कंपनी से ले रखी है। वे कोरोना संक्रमण का शिकार हो गए थे और 10 जनवरी को सिविल अस्पताल गाडरवारा में भर्ती हो गए थे। वहाँ पर दो वे सप्ताह तक भर्ती रहे और उसके बाद घर पर कुछ दिनों तक रेस्ट किया। चूँकि पॉलिसी के नियम के अनुसार कोरोना पॉजिटिव रिपोर्ट के आधार पर क्लेम दिया जाना था, तो उन्होंने उक्त रिपोर्ट बीमा कंपनी में लगाई थी। बीमा कंपनी के द्वारा अन्य दस्तावेज माँगे गए तो उन्होंने चिकित्सक रिपोर्ट तथा दवाइयों के बिल दे दिए। शासकीय अस्पताल में नि:शुल्क इलाज हुआ था तो वहाँ का बिल नहीं लगाया। बीमा कंपनी ने जो तथ्य माँगे थे वे सभी दे दिए गए, उसके बाद जाँच टीम आई और कहा कि जल्द क्लेम दे दिया जाएगा, लेकिन अचानक एक पत्र बीमा कंपनी ने भेजा कि आपके दस्तावेज फर्जी लग रहे हैं, इसलिए हम यह क्लेम नहीं दे सकते। पॉलिसी धारक पर ही बीमा कंपनी ने उल्टा आरोप लगा दिया। पीडि़त का कहना है कि इफको टोकियो बीमा कंपनी हमारे साथ जालसाजी कर रही है।
नाती को आज तक नहीं मिला बीमा का लाभ
अधारताल आशा नगर निवासी सुनील कुमार ने बताया कि उनकी दादी शांति देवी अग्रवाल ने ओरियंटल इंश्योरेंस से पॉलिसी ली थी। इलाज के साथ ही मृत्यु उपरांत एक मुश्त रकम नॉमिनी को दिए जाने का प्रावधान था। सुनील ने बताया कि सालों दादी की पॉलिसी चलती रही और अचानक स्वास्थ्य खराब होने के उपरांत निजी अस्पताल में उन्हें भर्ती कराया गया था। अस्पताल में उनका इलाज चलता रहा पर वे ठीक नहीं हो सकीं। आखिरकार कोमा में ही उनकी मृत्यु हो गई। पॉलिसी धारक की मौत के बाद सारी रिपोर्ट बीमा कंपनी को दी गई। बीमा कंपनी ने पहले तो कहा कि जल्द क्लेम सेटल कर दिया जाएगा। क्लेम सेटल करने की बात तो दूर की बात है अभी तक नॉमिनी को बीमा कंपनी उत्तर नहीं दे पा रही है। पीडि़त का आरोप है कि बीमा कंपनी हमारे साथ धोखा कर रही है। टोल-फ्री नंबर पर बात की और स्थानीय कार्यालय में जाकर अधिकारियों से मिले पर आज तक रिजल्ट नहीं निकला। दस साल बाद भी दादी का क्लेम उन्हें नहीं मिला। पॉलिसी के नियम के अनुसार बीमा धारक के नॉमिनी को पूरी रकम दी जानी चाहिए पर ओरियंटल इंश्योरेंस कंपनी ऐसा नहीं कर रही है।
Created On :   5 Jun 2021 4:48 PM IST