पेंशन की राशि का दुरुपयोग हुआ होगा तो हम नहीं बख्शेंगे- हाईकोर्ट की तल्ख टिप्पणी

We will not be spared if the pension amount is misused - High Court comment
पेंशन की राशि का दुरुपयोग हुआ होगा तो हम नहीं बख्शेंगे- हाईकोर्ट की तल्ख टिप्पणी
पेंशन की राशि का दुरुपयोग हुआ होगा तो हम नहीं बख्शेंगे- हाईकोर्ट की तल्ख टिप्पणी

डिजिटल डेस्क जबलपुर । जवाहर लाल नेहरू कृषि विवि के उम्रदराज पेंशनरों को एरियर्स का भुगतान न करने के मामले पर हाईकोर्ट ने तल्ख टिप्पणी की है कि सरकार से मिली राशि का किसी भी तरह से दुरुपयोग हुआ होगा, तो हम दोषियों को नहीं बख्शेंगे। जस्टिस संजय द्विवेदी की एकलपीठ ने एरियर्स के नाम पर मिली राशि का पूरा ब्यौरा पेश विवि को पेश करने कहा है। साथ ही यह चेतावनी भी दी  कि यदि जवाब संतोषजनक न पाया गया तो अगली बार हम कुलपति को तलब करेंगे। इस मत के साथ अदालत ने अगली सुनवाई 9 दिसंबर को निर्धारित की है।
26 महीनों के पेंशन एरियर्स की डिफरेंस राशि का भुगतान नहीं किया 
यह मामला जनेकृविवि पेंशनर्स परिषद के अध्यक्ष डॉ. सीएल चौबे, डॉ. ओपी कटियार और डॉ. वायसी सनोढिया की ओर से वर्ष 2018 में दायर किया गया है। आवेदकों का कहना है कि शासन से एरियर्स की राशि मिलने के बाद भी विवि द्वारा पेंशनरों को 26 महीनों के पेंशन एरियर्स की डिफरेंस राशि का भुगतान नहीं किया जा रहा। आवेदकों का दावा है कि पेंशनरों व उनके परिवारों के दावे वर्ष 1996 से लंबित हैं और विवि प्रशासन द्वारा उनके साथ हमेशा से पक्षपातपूर्ण  व्यवहार किया जा रहा है। आरोप यह भी है कि शासन ने दूसरे पेशनरों को दीपावली पूर्व पेंशन का भुगतान कर दिया, लेकिन विवि के पेंशनरों को कोई भुगतान नहीं किया। दूसरे पेंशनरों की मंहगाई राहत में 1 जनवरी 2019 सेबढ़ोत्तरी कर दी, लेकिन विवि के पेंशनरों को कोई राहत नहीं दी गई। अपने पेंशनरों को शासन ने 1 अप्रैल 2018 से सातवें वेतनमान की सिफारिशों को लागू कर दिया, लेकिन विवि के पेंशनर आज भी उस लाभ से वंचित हैं। इतना ही नहीं, कोर्ट के आदेश के बाद भी वर्ष 1996 से पहले रिटायर हो चुके पेंशनरों को 1 जनवरी 1996 से 31 मार्च 2007 के बीच का पेंशन डिफरेंस नहीं दिया गया, जो अवैधानिक है। इस मामले पर विगत 4 नवम्बर को हुई  सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने जनेकृविवि के कुलपति, रजिस्ट्रार और कंट्रोलर को हाजिर होने के निर्देश दिए थे।
मामले पर आगे हुई सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता वीएस श्रोती, अधिवक्ता विक्रम जौहरी, राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता शशांक शेखर और जनेकृविवि के अधिवक्ता पराग चतुर्वेदी के साथ कंट्रोलर महेश कुमार कोरी और रजिस्ट्रार एके इंगले हाजिर हुए। सुनवाई के दौरान कुलपति की हाजिरी माफी की अर्जी पेश की गई, जो मंजूर करते हुए अदालत ने कृषि विवि प्रशासन को पूरा स्पष्टीकरण देने के आदेश दिए।

Created On :   16 Nov 2019 1:22 PM IST

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